नईदिल्ली। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के ही साथ कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों द्वारा ट्रिपल तलाक के मसले पर लाॅ कमीशन आॅफ इंडिया के प्रमुख न्यायमूर्ति बीएस चैहान से भेंट की। बोर्ड ने न्यायमूर्ति चौहान को ट्रिपल तलाक और यूनिफाॅर्म सिविल कोड पर करने वाले सर्वे का विवरण प्रस्तुत किया। बोर्ड द्वारा कहा गया कि करोड़ों लोगों से मुस्लिम पर्सनल लाॅ पर सलाह ली गई। मगर मुस्लिमों का मत है कि वे इसे न्यायिक मामला नहीं बनाना चाहते हैं।
वे इसे धार्मिकता से जोड़ रहे हैं। उनकी मंशा है कि तीन तलाक, निकाह, हलाला और अन्य मसले पर सरकार को किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पर्सनल लाॅ बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार करीब 4 करोड़ 83 लाख 37 हजार 596 मुस्लिमों से इस मसले पर फाॅर्म जमा करवाया गया।
बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि महिलाओं की तादाद लगभग 2 करोड़ 73 लाख 56 हजार 9 सौ 34 है। हालांकि पुरूषों ने यूनिफाॅर्म सिविल कोड का विरोध किया और फिर ट्रिपल तलाक का समर्थन भी किया। हालांकि लोगों ने तीन तलाक को सामाजिक बुराई माना है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का गलत उपयोग करने वालों को सजा दी जाना चाहिए।
इसके गलत उपयोग पर रोक लगाई जाना चाहिए। तीन तलाक के मसले पर जमीअत उलेमा ए हिंद ने दलील देते हुए कहा कि न्यायालय इस मामले में दखल नहीं दे सकता है यह तो स्वयं एक कानून है। हालांकि जमीयत ने कहा कि कई लोग शरीय कानून को ही नहीं समझते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नियमों को उस धर्म के लोग तय करेंगे। कोई भी बाहरी व्यक्ति इस बात को तय नहीं कर सकता है।
तीन तलाक मुस्लिम महिलाओ के सामाजिक स्तर पर असर डालता है- सुप्रीम कोर्ट
मुस्लिम समाज में कम होते हैं तीन तलाक के मामले
तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं का पक्ष रखेगी UP सरकार