आखिर 'ज्ञानवापी' का सर्वे क्यों नहीं होने देना चाहता मुस्लिम पक्ष, क्या अंदर सचमुच कोई 'राज़' है ?

आखिर 'ज्ञानवापी' का सर्वे क्यों नहीं होने देना चाहता मुस्लिम पक्ष, क्या अंदर सचमुच कोई 'राज़' है ?
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नई दिल्ली: वाराणसी ज्ञानवापी केस अब सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। मामले को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की जा चुकी है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश (CJI) रमन्ना ने कहा है कि वे इस मामले को देखेंगे। अंजुमन ए इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी की प्रबंधन समिति ने वाराणसी अदालत की तरफ से आदेशित काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा है कि हमें फ़ौरन सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है। वहीं, CJI ने याचिका के डाक्यूमेंट्स मांगे हैं और कहा है कि हम कागजात देखने के बाद मामले को देखेंगे। बता दें कि, मुस्लिम पक्ष इस मामले में शुरू से ही सर्वे का विरोध कर रहा है, उनका कहना है कि हम परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी सर्वे नहीं होने देंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, अगर मुस्लिम पक्ष का दावा सच्चा है तो सर्वे होने देने में क्या समस्या है ? या फिर ज्ञानवापी के अंदर जरूर कोई बड़ा राज़ छुपा है ? जिस कारण सर्वे रोकने के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है। 

वाराणसी कोर्ट ने दिया था ये आदेश :-

काशी विश्वनाथ मंदिर से लगी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर गुरुवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया था। फैसले में दो बातें सबसे अहम हैं। पहली तो यह कि सर्वेक्षण पर कोई रोक नहीं लगेगी। 17 मई से पहले सर्वेक्षण कर अदालत में रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वहीं, दूसरी जो कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग की गई थी, उसे खारिज कर दिया गया है। हालांकि, अदालत ने दो अन्य कोर्ट कमिश्नर जोड़े हैं। अदालत ने बेहद सख्त लहजे में जिला प्रशासन को आदेश देते हुए कहा है कि सर्वे को रोकने का कोई भी बहाना नहीं चलेगा। यदि कहीं ताला बंद है तो उसे खुलवाएं या तुड़वाएं, मगर परिसर के हर स्थान का सर्वे होगा। 

अदालत ने कहा कि, 17 मई से पहले मस्जिद समेत पूरे परिसर का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट अदालत में दी जाएगी। सर्वेक्षण के दौरान वीडियोग्राफी भी होगी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की मांग खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट कमिश्नर नहीं बदला जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र के साथ ही विशाल सिंह को विशेष कमिश्नर नियुक्त किया है। जो पूरी टीम का नेतृत्व करेंगे। उनके साथ अजय प्रताप सिंह को भी शामिल किया गया है। अदालत का स्पष्ट आदेश है कि कोर्ट कमिश्नर पक्षकारों द्वारा बताए गए बिन्दुओं पर तस्वीर लेने और वीडियोग्राफी के लिए स्वतंत्र होंगे। अदालत ने साफ़ कहा है कि किसी स्थान पर ताला बंद हो तो जिला प्रशासन ताला खुलवाकर तुड़वाकर सर्वे का कार्य पूरा कराएं। 

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