नई दिल्ली: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर मामले में मस्जिद पक्ष की एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार (3 नवंबर) को खारिज कर दिया है। मस्जिद पक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में ज्ञानवापी मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के बजाय किसी अन्य उच्च न्यायालय के हवाले करने के लिए याचिका दी गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बता दें कि, 2021 से ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रही एकल-न्यायाधीश पीठ से वापस लेने के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा चुनौती दी गई थी। एकल-न्यायाधीश पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद वाले स्थान पर एक मंदिर को खोलने की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलीलें सुनने के बाद याचिका ठुकरा दी। अदालत ने कहा कि, "हमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश में दखल नहीं देना चाहिए। हाईकोर्टों में यह एक बहुत ही मानक प्रथा है। यह हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के दायरे में आना चाहिए।"
दरअसल, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (AIMC) एक एकल-न्यायाधीश पीठ से मामले को वापस लेने और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा इसे किसी अन्य पीठ को सौंपने को चुनौती दे रही थी। याचिका खारिज करने से पहले CJI चंद्रचूड़ ने मामले को ट्रांसफर करने के कारणों पर विचार किया और कहा कि वह इसे खुली कोर्ट में नहीं पढ़ना चाहते।
17 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट दाखिल कर सकता है ASI:-
बता दें कि, 30 अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने AIMC की याचिका पर सुनवाई 8 नवंबर तक के लिए टाल दी थी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चल रहे सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जिला अदालत ने 2 नवंबर को ASI को 17 नवंबर तक समय दिया है। ASI ने कोर्ट से कहा कि उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण संपन्न कर लिया है, लेकिन रिपोर्ट का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए। ASI को सर्वे की रिपोर्ट छह नवंबर तक सौंपनी थी, लेकिन अब 17 नवंबर तक का समय दिया गया है।