नई दिल्ली. दाऊदी बोहरा समुदाय की कई मुस्लिम महिलाओं ने खतना प्रथा के खिलाफ मुहिम छेड़ी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खतना प्रथा को बैन किए जाने की मांग की है. इस समुदाय में कई सालों से खतना (खफ्ज) प्रथा चलती आ रही है. इसमें मुस्लिम बच्चियों के सात साल के होने के बाद उनका खतना कराया जाता है. इसमें उनके जननांग को काट दिया जाता है ताकि उनकी यौन इच्छाएं सक्रिय न हो पाएं.
खतना के खिलाफ 19 नवंबर को विश्व दिवस के मौके पर महिला अधिकारों के संरक्षण के लिए ‘WeSpeakOut’ के तहत एक ऑनलाइन प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी. भारत में महिलाओं के खतना के खिलाफ कोई कानून नहीं है. इस सिलसिले में मुस्लिम महिलाओं ने पत्र लिख कर सरकार, राज्य सरकारों से एडवाइजरी जारी करने की अपील की है.
इसके साथ ही बोहरा समाज की महिलाओं का कहना है कि यह प्रथा (FGM) यौन हिंसा का एक रूप है, जिसके गहरे घाव भावनात्मक, यौन और शारीरिक परिणाम हैं. यह वक्त इस प्रथा को खत्म करने का है, क्योंकि ये महिलाओं और लड़कियों के दर्द का कारण है. दाऊदी बोहरा समुदाय महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में रहने वाली शिया मुसलमान हैं. इनकी जनसंख्या 20 लाख के करीब है.
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