नई दिल्ली: देश में तीन तलाक जैसी कुप्रथा को झेल रही मुस्लिम महिलाओ को इससे तो आज़ादी मिल गयी है. किन्तु मुस्लिम समाज में महिलाओ को लेकर ऐसी अनेक कुप्रथाए है जिनके खिलाफ आज तक कोई आवाज नहीं उठी है. और इसका शिकार महिलाओ को होना पड़ता है. ऐसे में तीन तलाक के खत्म होने के बाद एक महिला ने "खतना" जैसी कुप्रथा पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. जिसमे सामाजिक कुरीति खतना को खत्म करने के लिए कहा गया है. प्रधानमंत्री को यह खत मासूमा रानाल्वी नाम की महिला ने लिखा है. जिसमे इस बात का जिक्र किया गया.
यह लिखा गया खत में - महिला ने लिखा है कि स्वतंत्रता दिवस के दिन आपने मुस्लिम महिलाओं के दुखों और कष्टों का जिक्र किया. आपने तीन तलाक को एंटी वूमन कहा तो सुनकर अच्छा लगा, आजादी के बाद भी हम औरतों को आजादी नहीं मिल पायी है. तीन तलाक अन्याय है लेकिन इस देश में सिर्फ यही समस्या नहीं है. मैं आपको Female Genital Mutilation (FGM) के बारे में बताना चाहती हूं. बोहरा समुदाय में सालों से खतना या खफ्ज प्रथा का पालन किया जाता है. बोहरा, शिया मुस्लिम होते हैं, जिनकी संख्या लगभग बीस लाख है. इस प्रथा के अनुसार जैसे ही कोई बच्ची सात साल की होती है, उसे दाई या एक लोकल डॉक्टर के पास ले जाया जाता है. जहा पर बेदर्दी से बच्ची का Clitoris काट दिया जाता है. इस प्रथा का दर्द ताउम्र के लिए उस बच्ची के पास रह जाता है. इस प्रथा का उद्देश्य है कि बच्ची या महिला का Secual Desires को दबा दिया जाना है.
बता दे कि खतना में एक गैर मेडिकल तरीके से महिलाओ और बच्चियों के जननांगों कों सर्जिकल रुप से ऑपरेट किया जाता है. जो बहुत ही कष्टप्रद है. जिस बारे में मासूमा रानाल्वी ने प्रधानमंत्री को खत लिकर इस बारे में अवगत करवाया है. वही इसे खत्म करने के लिए अपील की गयी है.
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