लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में स्थित विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान, दारुल उलूम, अक्सर अपने फतवों के कारण चर्चा में रहता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पुराना फतवा वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय को बैंक में काम करने वाले लोगों या उनके बच्चों से शादी नहीं करनी चाहिए। इस फतवे को लेकर देवबंदी आलिम और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने पुष्टि की कि यह फतवा आठ साल पुराना है और इस्लामिक शरीयत के अनुसार सही है।
फतवे में कहा गया है कि बैंक में काम करने वाले मुस्लिम युवकों और महिलाओं को जो तनख्वाह मिलती है, वह ब्याज से संबंधित होती है, जिसे शरीयत में हराम माना गया है। मौलाना कारी इसहाक ने कहा कि इस्लाम ब्याज का पैसा खाना या इसे स्वीकार करना गलत मानता है, इसलिए मुसलमानों को ऐसे लोगों से शादी करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अन्य लोग जो सूदखोरी या ब्याज से जुड़े काम करते हैं, उन्हें भी शरीयत हराम मानती है।
दारुल उलूम ने पहले भी कई विवादित फतवे जारी किए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले संस्थान ने ऐलान किया था कि कोई भी नेता दारुल उलूम में न तो स्वागत किया जाएगा और न ही वहां के अधिकारी उनके साथ मिलेंगे या फोटो खिंचवाएंगे। इसी साल जुलाई में दारुल उलूम ने छात्रों के लिए एक और फतवा जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि संस्थान में रहते हुए इंग्लिश या अन्य कोई विषय पढ़ने की अनुमति नहीं है। ऐसा करते पाए जाने पर छात्रों को संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा। इन सभी फतवों को लेकर दारुल उलूम चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और इनका असर मुस्लिम समुदाय पर व्यापक रूप से देखा जा रहा है।
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