नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राममंदिर बाबरी मस्जिद के मसले पर संबंधित पक्षों को आपस में चर्चा से यह मामला सुलझाने के लिए कहा है। ऐसे में अब अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के विवादित मसले पर नेताओं की बयानबाजी सामने आई है। हालांकि इस मसले पर केंद्र सरकार ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि इस मामले को न्यायालय के बाहर सुलझाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
एक वैश्विक समाचार नेटवर्क के हवाले से जानकारी सामने आई है कि बाबरी मस्जिद एक्शन समिति ने मध्यस्थता की पेशकश को ठुकरा दिया है। सदस्यों का कहना है कि इस मसले पर चर्चा की जा चुकी है मगर इसका कोई हल नहीं निकला। हालांकि बाबरी मस्जिद एक्शन समिति के सदस्य सैयद कासिम रसूल इल्यास ने कहा है कि चर्चा का अर्थ आत्मसमर्पण करना है। जफरयाब जिलानी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आउट आॅफ कोर्ट सैटलमेंट स्वीकार नहीं है।
मगर इस मामले में यदि सर्वोच्च न्यायालय मध्यस्थता करता है तो फिर हम तैयार हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि संबंधित पक्ष इस मसले पर मिलकर कार्य करेंगे और इसे हल करेंगे। हालांकि इस मामले में याचिका दायर करने वाले राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार तो हैं मगर जहां पर राम पैदा हुए हैं मंदिर वहीं पर बनेगा।
एक सुझाव है मगर यह केवल सुझाव है कि सरयू नदी के दूसरी ओर मस्जिद बना दी जाए। गौरतलब है कि सऊदी अरब में भी विकास कार्यों के लिए मस्जिदों को तोड़ा जाता रहा है। ऐसे में यदि मस्जिद सरयू नदी के दूसरी ओर बना दी जाए तो एक सकारात्मक हल निकल सकता है। कानून राज्यमंत्री पीपी चैधरी ने कहा कि हम कल ही मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं।
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