नई दिल्ली: आमतौर पर नौकरीपेशा व्यक्ति अपनी सेविंग्स मे से कुछ हिस्सा एक्स्ट्रा इनकम के लिए म्यूच्यूअल फंड्स मे निवेश करता है. लेकिन इसके बारे मे जानकारी लिए बिना म्यूच्यूअल फंड्स मे निवेश करना कई बार घातक हो सकता है. तो आज हम आपके लिए लाए हैं ऐसी जानकारी जो म्यूच्यूअल फंड्स के बारे मे आपकी सारी भ्रांतियों को दूर कर देगी. म्यूच्यूअल फंड्स दो प्रकार के होते हैं, एक रेगुलर प्लान और दूसरा डायरेक्ट प्लान.
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वैसे तो ये दोनों प्लान एक तरह ही होते हैं, लेकिन दोनों मे एक बड़ा अंतर ये होता है कि जहाँ रेगुलर प्लान मे निवेशक और म्यूच्यूअल फंड्स कंपनी के बीच एक एजेंट, या ब्रोकर होता है, वहीं रेगुलर प्लान मे निवेशक और म्यूच्यूअल फंड्स कंपनी सीधे सौदा कर सकते हैं. इसका सीधा मतलब ये है कि अगर आप किसी एजेंट या ब्रोकर के जरिए म्यूच्यूअल फंड्स खरीद रहे हो तो आप रेगुलर प्लान मे निवेश कर रहे हो और अगर आप सीधे म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी से सौदा कर रहे हो तो आप डायरेक्ट प्लान मे निवेश कर रहे हो.
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कौन सा प्लान है बेहतर ?
अधिकतर लोगों के बीच इस बात को लेकर चर्चा होती है कि म्यूच्यूअल फंड्स के इन दोनों प्लानों मे कौनसा प्लान बेहतर है, जिसमे कम खर्च हो और रेतुर्न अधिक हो. तो इसके लिए एप डायरेक्ट प्लान का चुनाव कर सकते हैं. वो इसलिए क्योंकि रेगुलर प्लान मे आपके और म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के बीच एजेंट या ब्रोकर होता है, जिसे कमीशन दिया जाता है और ये कमीशन निवेशकों के पैसे मे से ही किया जाता है. तो स्वाभाविक है कि रेगुलर प्लान मे खर्च ज्यादा होगा, जबकि डायरेक्ट प्लान मे निवेशक को कोई कमीशन नहीं देना होता. लेकिन डायरेक्ट प्लान से फायदा उठाने के लिए आपको म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी होना जरुरी ही, वरना आपके लिए एजेंट के जरिए ही निवेश करना उचित है. अगर मार्केट रिपोर्ट्स की मानें तो डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के रिटर्न में 0.5% से 2% तक का अंतर होता है.
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