लखनऊ: यूपी के पूर्व सीएम एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली की आलोचना की, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। उन्होंने कहा कि "माफिया और मठाधीश" में ज्यादा अंतर नहीं है। इस बयान को बीजेपी ने सनातन विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया, और कहा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख साधु-संन्यासियों की माफिया से तुलना कर रहे हैं।
शुक्रवार को अखिलेश यादव अपने संसदीय क्षेत्र कन्नौज में मीडिया से बातचीत करते हुए अपनी टिप्पणी पर सफाई दी। उन्होंने कहा, "मैंने कभी भी हमारे किसी साधु-संत, ऋषि-मुनि या आचार्य के बारे में कुछ नहीं कहा। हमारी टिप्पणी मठाधीश मुख्यमंत्री पर थी। संत हमारे लिए पूजनीय हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पर की गई टिप्पणी पर किसी को क्या शिकायत हो सकती है? हमारे मुख्यमंत्री तो खुद मठाधीश हैं।" अखिलेश ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा था, "भाषा से पहचानिए असली संत महंत, साधु वेश में घूमते जग में धूर्त अनंत।" उनकी "माफिया और मठाधीश" वाली टिप्पणी और पोस्ट पर अयोध्या सहित कई जगहों पर साधु-संतों ने नाराजगी जताई। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी सपा प्रमुख पर पलटवार किया, कहकर कि "सामाजवादी पार्टी का यही चरित्र है। सपा ने हमेशा सनातन धर्म को कलंकित किया है।"
कन्नौज में मीडिया से चर्चा करते हुए, अखिलेश यादव ने योगी सरकार की एनकाउंटर नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि योगी सरकार के आने के पश्चात् 18,000 एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 200 लोगों की मौत हुई। यदि एनकाउंटर से कानून-व्यवस्था में सुधार होता है, तो फिर रोज अपराध क्यों हो रहे हैं? उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बलात्कार हो रहे हैं। सरकार द्वारा दिया गया स्मार्टफोन पंडाल के बाहर छिन गया। अपराधी राज्य छोड़कर नहीं गए हैं, बल्कि उनका भाजपाईकरण हो गया है।" लालू यादव के खिलाफ चल रही CBI जांच पर उन्होंने कहा कि जैसे यूपी में थाने चल रहे हैं, वैसे ही CBI का दफ्तर भी चल रहा है। अखिलेश ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि यूपी में सजाएं जाति एवं धर्म देखकर तय की जाती हैं। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल से जुड़े असामाजिक तत्वों को छूट मिलती है, जबकि विपक्षियों के घरों पर बुलडोजर चलने में देर नहीं लगती। इस कारण अपराध की घटनाएं कम होने की जगह निरंतर बढ़ रही हैं। उन्होंने "एक राष्ट्र-एक चुनाव" के उद्देश्य को लोकतंत्र समाप्त करने और भारत के चुनाव आयोग को खत्म करने का प्रयास बताया।
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