नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को सर्वोच्च न्यायालय चुनाव में मुफ्त योजनाओं को लेकर सुनवाई हुई। CJI एनवी रमना की अध्यक्षता में पीठ सुनवाई कर रही थी। देश में इस मुफ्त योजनाओं को लेकर छिड़ी बहस पर अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI ने अपने ससुर से संबंधित एक किस्सा सुनाया।
CJI ने बताया कि उनके ससुर एक किसान हैं तथा कई वर्ष पहले वो बिजली का कनेक्शन चाहते थे, किन्तु सरकार ने नए बिजली कनेक्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हम याचिका दायर कर सकते हैं? तत्पश्चात, एक दिन सरकार ने फैसला लिया और जिन व्यक्तियों का अवैध बिजली कनेक्शन था, उन्हें नियमित कर दिया गया। लाइन में लगे लोगों को छोड़ दिया गया। मैं अपने ससुर को कोई जवाब नहीं दे सका। हम क्या संदेश दे रहे हैं? अवैध काम करने वालों को लाभ हो रहा है।
वही इस घटना में कपिल सिब्बल ने भी एक महिला का उदाहरण देते हुए कहा कि यह बेहद ही मुश्किल मुद्दा है। सिब्बल ने कहा कि जब सड़क पर चलने वाली एक महिला से उन्होंने पूछा कि कैसे यात्रा करती हैं तो उसने कहा कि बस की यात्रा फ्री है। इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि मुफ्त योजना अहम है या परिवहन क्षेत्र के नुकसान पर विचार करने की जरुरत है। सुनवाई के चलते CJI ने कहा कि इस मामले पर किसी तरह का श्वेत पत्र होना चाहिए। बहस होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है तथा लोगों का कल्याण, दोनों को संतुलित करना होगा। इसलिए हम कुछ समिति चाहते हैं। तत्पश्चात, सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम एक कमेटी का प्रस्ताव करते हैं, जिसमें सचिव केंद्र सरकार, सचिव राज्य सरकार, प्रत्येक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि, नीति आयोग के प्रतिनिधि, आरबीआई, वित्त आयोग, राष्ट्रीय करदाता संघ सम्मिलित किए जा सकते हैं।
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