'मेरे परदादा 12 साल तक जेल में बैठे, मुझे भी कम से कम 10 साल तो जाना चाहिए..', ऐसा क्यों बोले राहुल गांधी ?

'मेरे परदादा 12 साल तक जेल में बैठे, मुझे भी कम से कम 10 साल तो जाना चाहिए..', ऐसा क्यों बोले राहुल गांधी ?
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ में शुक्रवार (10 मई) को एक चुनावी जनसभा संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी  ने CBI और ED के द्वारा की गई पूछताछ का एक किस्सा सुनाया। राहुल गांधी ने कहा कि CBI-ED ने मुझसे 55 घंटों तक सवाल-जवाब किए थे. राहुल बोले कि मैंने ED के अफसर से कहा, 'देखिए, आप सोच रहे हो कि आपने मुझे यहां बुलाया है, तो आप गलतफहमी में हो, आपने मुझे नहीं बुलाया है, मैं यहां आया हूं. क्योंकि मैं देखना चाहता हूं कि भारत के लोकतंत्र की हत्या कौन लोग कर रहे हैं.'

रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी बोले कि पूछताछ के दौरान मुझे एक सेल (लॉकअप) नज़र आया. मैं सोच रहा था कि मेरे परदादा 12 वर्षों तक इसी तरह के जेल में बैठे थे, कम से कम 10 वर्ष के लिए तो मुझे भी जाना चाहिए. राहुल गांधी ने कहा कि मुझे कोई भी सेल दो, कोई अंतर नहीं पड़ता. मेरा कहना है कि देश की जनता के सामने देश की सच्चाई लाइए, मैं भरोसे से कहता हूँ कि यदि हमने सच्चाई सामने रख दी, तो हिंदुस्तान की सियासत पूरी तरह बदल जाएगी. बता दें कि, जून 2022 में जाँच एजेंसियों ने राहुल गांधी से नेशनल हेरॉल्ड मामले में पूछताछ की थी, उस समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल को बुलाए जाने के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए थे। 

आखिर क्या है नेशनल हेराल्ड मामला ?

नेशनल हेराल्ड की शुरुआत भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में कांग्रेस की लिबरल आवाज़ को मंच देने के लिए की थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद, यह कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र में तब्दील हो गया था। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र प्रकाशन कंपनी थी। यह उर्दू अखबार कौमी आवाज और हिंदी अखबार नवजीवन के प्रकाशन में भी शामिल थी। अप्रैल 2008 तक, AJL भारी कर्ज में डूबी हुई थी और उस पर कांग्रेस पार्टी का 90.26 करोड़ रुपये बकाया हो गया था। कांग्रेस ने AJL को चालू रखने के लिए समय-समय पर 0% ब्याज पर ऋण भी दिया था। किन्तु, जब यह अस्थिर हो गया, तो AJL ने 2008 में औपचारिक रूप से अपने समाचार पत्रों की छपाई और प्रकाशन बंद कर दिया।

इसके बाद यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के नाम से एक और कंपनी 2010 में कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक निजी, गैर-लाभकारी चैरिटी के रूप में बनाई गई थी। YIL में (आयकर रिकॉर्ड के अनुसार) गांधी परिवार (राहुल और सोनिया सहित) के पास 36-36% शेयर थे। यानी, एक तरह से सोनिया और राहुल ही YIL के मालिक थे। YIL में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास बाकी 28% शेयर थे। YIL ने कांग्रेस पार्टी को 50 लाख रुपये का भुगतान किया और AJL पर बकाया 90.26 करोड़ रुपये का कर्ज खुद अपने कंधों पर ले लिया।

यह देखते हुए कि AJL अपना कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं थी, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (सोनिया-राहुल के स्वामित्व वाली YIL) ने उसके अधिकांश शेयर इक्विटी और अंततः पूरी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। इस प्रकार, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की सभी संपत्तियाँ गांधी परिवार के स्वामित्व वाली यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के हाथों में चली गईं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि, 90 करोड़ के कर्ज के बदले में जो सम्पत्तियों का अधिग्रहण गाँधी परिवार के स्वामित्व वाली YIL द्वारा किया गया, उसमे 2000 करोड़ से अधिक की रियल एस्टेट संपत्तियां शामिल हैं, जो मुंबई, नई दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, इंदौर, पटना और अन्य के पॉश इलाकों में स्थित हैं। AJL का अधिग्रहण करने के बाद, यंग इंडियन लिमिटेड ने ऐलान किया कि समाचार पत्र का प्रकाशन गैर-लाभकारी चैरिटी का उद्देश्य नहीं था। हालाँकि, इसको लेकर जांच शुरू हो चुकी थी। 

 

जिसके बाद, 2016 में, YIL ने नेशनल हेराल्ड सहित तीन अखबारों को डिजिटल प्रारूप में फिर से लॉन्च कर दिया। 2011 में, सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया था कि गांधी परिवार ने AJL की रियल-एस्टेट संपत्ति हथियाने के लिए यंग इंडियन (YIL) कंपनी बनाई थी। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर अपनी ही पार्टी कांग्रेस को धोखा देने का भी आरोप लगाया था और 2013 में ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। स्वामी ने दावा किया था कि गाँधी परिवार के स्वामित्व वाली YIL केवल 50 लाख रुपये में कुल 90.26 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने में सक्षम थी। स्वामी ने कहा कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए AJL को ऋण देने का कांग्रेस पार्टी का फैसला अवैध और गैरकानूनी था।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा 2013 में दाखिल एक निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आयकर विभाग की जांच का एक ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद एजेंसी ने वर्ष 2022 में PMLA के आपराधिक प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज किया है। इस मामले में कार्रवाई करते हुए ED नेशनल हेराल्ड अखबार और उससे जुड़ी कंपनियों की लगभग 752 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर चुकी है, जिसे कोर्ट ने भी सही माना है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी इनमें से एक कंपनी के बड़े शेयरधारक हैं। नेशनल हेराल्ड  मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों 2015 से ही 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत लेकर जेल से बाहर हैं। हालाँकि, इस मामले की जांच अब भी जारी है, जब भी गाँधी परिवार से किसी को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है, तो सड़क से संसद तक जमकर हंगामा मचता है। लेकिन, दोनों दिग्गज नेता अभी तक कोर्ट से इस मामले में क्लीन चिट नहीं ले पाए हैं। अधिकतर पूछताछ में भी वे यही जवाब देते हैं कि, कंपनियों के लेनदेन का काम मोतीलाल वोरा देखते थे, वो अब इस दुनिया में नहीं हैं और उन्हें (सोनिया-राहुल को) इस बारे में कुछ नहीं पता। राहुल गांधी के इस बयान पर मोतीलाल के बेटे और कांग्रेस नेता अरुण वोरा ने कहा था कि, राहुल मेरे दिवंगत पिता पर इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते। लेकिन, सवाल अब भी वही बने हुए हैं कि, आखिर 90 करोड़ के कर्ज के एवज में 2000 करोड़ की संपत्ति कैसे अधिग्रहित कर ली गई ? जबकि AJL को लोन देने वाली भी कांग्रेस थी, सोनिया-राहुल के स्वामित्व में YIL बनाकर कांग्रेस को 50 लाख भी दिए गए, वो भी उस समय जब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर खुद सोनिया गांधी ही विराजमान थीं। तो आखिर AJL क्यों बंद हुआ और उसकी 2000 करोड़ की सम्पत्तियाँ कहाँ गईं ? 

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