नई दिल्ली: यूक्रेन संकट के बीच बुडापेस्ट (Budapest) में सबसे पुराना भारतीय रेस्टोरेंट महाराजा, हंगरी की राजधानी के रास्ते युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाले जा रहे भारतीय स्टूडेंट्स को निःशुल्क भोजन मुहैया करा रहा है. रेस्टोरेंट के मालिक कुलविंदर सिंह झाम ने कहा कि एक धर्मनिष्ठ सिख होने के नाते, उन्होंने फ्री भोजन परोसने के लिए फ़ौरन एक लंगर (सामुदायिक रसोई) शुरू किया.
उन्होंने आगे बताया कि, ‘सोमवार का दिन था, मुझे नहीं पता था कि उनकी (स्टूडेंट्स की) तादाद इतनी तेजी से बढ़ेगी. मंगलवार को 300 छात्र बुडापेस्ट पहुंचे. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया कि बुधवार दोपहर को, हमने 800 भोजन तैयार किए और रात में 1,500 अन्य स्टूडेंट्स पहुंच गए. यूरोप में 40 वर्षों से रह रहे और 1994 में महाराजा की स्थापना करने वाले झाम ने कहा कि छात्र भारतीय दूतावास से सहायता की उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दूतावास शुरू में सैंडविच जैसे आसानी से उपलब्ध भोजन देता था, मगर छात्रों को गर्म पके हुए भोजन की जरुरत होती थी.
झाम ने आगे कहा कि छात्रों में से कई भूखे और पीड़ित थे. उन्होंने कहा कि छात्रों को भयानक अनुभवों से गुजरना पड़ा. ‘कुछ लड़कों ने बताया कि उन्हें यूक्रेन के लिए लड़ने के लिए पैसे और राइफल की पेशकश की गई थी. सभी को बॉर्डर पर सैनिकों ने रोक दिया क्योंकि यूक्रेन 16 से 60 वर्ष की उम्र के पुरुषों को देश छोड़ने की इजाजत नहीं देता है. छात्रों को यह साबित करना था कि वे यूक्रेन के नागरिक नहीं हैं. उनमें से ज्यादातर ने हंगरी के लिए ट्रेनों में सवार होना पसंद किया, यह सोचकर कि रूसी रुक सकते हैं और रोमानिया और पोलैंड के लिए जाने वाली बसों को जब्त कर सकते हैं.
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