नाग पंचमी के अवसर पर आपको बता दें, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है. कहते हैं पचमढ़ी में घने जंगलों के बीच यह रहस्यमयी रास्ता सीधा नागलोक जाता है. ये काफी प्रसिद्द भ्ही है और यहां दूर दूर से लोग आते हैं. इसकी चढ़ाई काफी ज्यादा भी है और दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक 7 पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों से गुज़रना पड़ता है जिसके बाद ही आप वहां पहुँच पाएंगे.
सुबह से श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं. 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं. नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है. मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है. नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है. यह गुफा 100 फीट लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं. स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है. स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं.
जानकारी दे दें, जल गली से 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा में भक्तों को दो दिन लगते हैं. पहाडिय़ों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां आने वाले श्रद्धालु कई पीढिय़ों से मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं.
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