कोहिमा: नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन इसाक-मुईवाह) पहला नागा संगठन है जिसके साथ केंद्र सरकार ने शांति वार्ता आरंभ की है। संगठन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें उसका कहना है कि नागा शांति प्रक्रिया की परेशानी का तब तक सम्मानजनक समाधान नहीं हो सकता जब तक कि अलग ध्वज और संविधान नहीं बन जाता।
एनएससीएन (आई-एम) का कहना है कि 22 वर्ष की शांति प्रक्रिया को नागाओं के अद्वितीय इतिहास और स्थिति को आधिकारिक मान्यता तब मिली जब तीन अगस्त 2015 को फ्रेमवर्क समझौते पर दस्तखत किए गए थे। हालांकि संगठन का कहना है कि फ्रेमवर्क समझौते पर साइन हुए तीन वर्ष बीत चुके हैं लेकिन इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है।
नागा संगठन का कहना है कि, 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत सरकार धीमी गति से कदम उठा रही है। बदलती परिस्थिति और अन्य घटनाक्रम कि वजह से एनएससीएन के अध्यक्ष क्यू टुच्चु और महासचिव टीएच मुईवाह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिससे कि नागा लोगों के संदेह और भ्रम के बारे में बताया जा सके और एक सम्मानजनक राजनीतिक निराकरण पर पहुंचा जा सके।' संगठन का कहना है कि, 'यह पत्र नागा झंडे और संविधान जैसे प्रमुख मुद्दों के संदर्भ में है जिसपर कि दोनों पक्षों के बीच सहमति होनी शेष है।
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