आज नागपंचमी का पर्व है और आज के दिन प्रयागराज स्थित नागवासुकि मंदिर में बहुत भीड़ लगती है। जी दरअसल इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस मंदिर में स्थिति देव प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है और कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिल जाती है। जी हाँ, कहा जाता है इस मंदिर की वास्तुकला अपने आप में बहुत अनूठी और विशेष है। जी हाँ और इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थित नागवासुकि की प्रतिमा है। कहा जाता है यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां नागवासुकि भगवान की आदमकद प्रतिमा है।
इसी के साथ नागवासुकि प्रतिमा की कारीगारी भी यहाँ खूबसूरत लगती है। कहा जाता है प्रयागराज के इस प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर की परंपरा नासिक की गोदावरी तट पर स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ से जुड़ी मानी जाती है। आप सभी को पता हो कि असम के गुवाहाटी में नवग्रह-मंदिर ब्रह्मपुत्र के उत्तर तट पर स्थित है। ठीक वैसे ही प्रयागराज में नागवासुकि मंदिर भी गंगा के तट पर स्थित है और नागवासुकि का मंदिर कालसर्प दोष शमन के लिए भी प्रसिद्ध है।
आपने देखा होगा देशभर में नागदेवता के कई प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन कालसर्प दोष वाली मान्यता सिर्फ इसी स्थान से जुड़ी है। कहा जाता है मुगलकाल के दौरान इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया गया था लेकिन सैनिक जब इस काम में सफल नहीं हुए तो खुद औरंगजेब इस मंदिर को तोड़ने आया था। हालाँकि औरंगजेब ने जैसे ही नागवासुकी की मूर्ति पर वार किया, स्वयं नागराज दिव्य स्वरूप में प्रकट हो गए। उनके भयंकर स्वरूप को देखकर औरंगजेब कांपने लगा और डर कर बेहोश हो गया।
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