क्या आप जानते हैं कौन थीं श्री राम की बहन जिनका कभी नहीं होता जिक्र?

क्या आप जानते हैं कौन थीं श्री राम की बहन जिनका कभी नहीं होता जिक्र?
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रामायण काल के बारे में बात करें तो सबसे पहले एक ही नामा आता है और वह नाम है प्रभु श्री राम का। जी दरअसल श्री राम के साथ उनके भाइयों का जिक्र भी हमेशा होता है और कहा जाता है जब श्री राम वनवास के लिए गए थे उस समय उनके साथ भ्राता लक्ष्मण भी गए थे। अब तक आप सभी ने राम जी के सभी भाइयों का जिक्र जरूर सुना होगा लेकिन शायद ही आपमें से किसी को भी पता हो कि श्री राम की एक बहन थीं। जी हाँ, ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की सबसे बड़ी बहन शांता थीं। जी हाँ और जब रामायण की बात आती है तब शांता का जिक्र लगभग न के बराबर होता है। हालाँकि आपको शायद ही पता होगा कि महाराजा दशरथ और रानी कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी शांता थीं।

देवी शांता की कुछ स्थानों पर पूजा भी होती है। अब हम आपको उन्ही के बारे में बताते हैं। कहा जाता है भगवान राम की सबसे बड़ी बहन जिनका नाम शांता था वो महाराजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं। जी हाँ और शांता सर्वगुण संपन्न थीं और सभी क्षेत्रों में निपुण थीं। कहते हैं राजा दशरथ में अपनी पुत्री शांता को अपने एक घनिष्ठ मित्र अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था। वहीं पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि ''एक बार राजा रोमपद अपनी पत्नी वर्षिणी के साथ दशरथ और कौशल्या से मिलने आए। दरअसल यानी वर्षिणी कौशल्या जी की बहन और श्री राम और देवी शांता की मौसी थीं। उस समय वर्षिणी ने अपनी बहन से देवी शांता को गोद लेने की इच्छा जताई और कौशल्या ने शांता को अपनी बहन को सौंप दिया। इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गयीं।''

इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि देवी शांता वेद, कला और शिल्प कला में निपुण थीं और वह बहुत ही सुन्दर थीं। एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री शांता से वार्तालाप में व्यस्त थे और उसी समय एक ब्राह्मण अपनी व्यथा सुनाने राजा के पास पहुंच गया। वहीं राजा उस गरीब ब्राह्मण की याचना नहीं सुन पाए और ब्राह्मण रुष्ट होकर उन्हें श्राप देकर चले गए। उस दौरान इंद्र देव भी अपने भक्त का यह अपमान सहन न कर पाए और उन्होंने धरती पर सूखा कर दिया। कहा जाता है उस समय राजा रोमपद एक ऋषि श्रृंग के पास गए जिससे उन ऋषि श्रृंग ने सूखे से धरती को मुक्ति दिलाई। जी हाँ और राजा रोमपद ने ऋषि श्रृंग के कार्यों से प्रसन्न होकर अपनी बेटी शांता का विवाह उनसे कर दिया। मान्यता है कि शांता और ऋषि श्रृंग के पूर्वज सेंगर राजपूत हैं जिन्हें एक मात्र ऋषि वंशी राजपूत कहा जाता है।

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