जब किसी का विवाह होता है तो उसके जीवन में बहुत से रिश्ते नए बनते है. इन रिश्तो में सभी रिश्ते ख़ास होते है जिन्हें वह निभाने का पूरा प्रयास करता है. किन्तु कुछ रिश्ते ऐसे होते है जिनमे अक्सर नोक-झोक एवं मन–मुटाव होता रहता है. ऐसा ही एक रिश्ता होता है भाभी ननद का जिसमे अक्सर नोक-झोंक होती रहती है. हम चाहे जितना भी प्रयास करें इसे रोक नहीं सकते. किन्तु क्या आप जानते है की इनके बीच में इस नोक-झोंक का कारण क्या है क्यों आपस में इनके बीच मन मुटाव होता है.आइये जानते है इसके पीछे क्या कारण छुपा है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शंकर और माता पार्वती विवाह करके जब कैलाश पर्वत पर आई तो वह अपने आप को अकेला महसूस कर उदास रहने लगी. तब भगवान शंकर ने माता पार्वती जी से उनकी उदासी का कारण पूछा तो माता पार्वती ने अपने अकेलेपन के बारे में उन्हें बताया और कहा की उन्हें एक ननद चाहिए.
भगवान शंकर ने माता पार्वती की इच्छा को पूर्ण करते हुए एक स्त्री को उत्पन्न किया जिसका नाम असावरी देवी था. वह स्त्री देखने में बहुत कुरूप, मोटी थी तथा उसके पैरों में भी दरार थी. माता पार्वती ने उस स्त्री का स्वागत कर उसके समक्ष भोजन परोस दिया.तब असावरी सारा भोजन खा गई.
एक दिन असावरी देवी ने शरारत के उद्देश से माता पार्वती को अपने पैर की दरार में छुपा लिया. जहाँ माता पार्वती को घुटन होने लगी. जब भगवान शंकर वापस लौटे तो माता पार्वती को न पाकर बहुत चिंतित हुए. तब उन्होंने असावरी देवी से माता पार्वती के विषय में पूछा तो असावरी ने माता को अपने पैर की दरार से मुक्त कर दिया.
असावरी के पैर की दरार से मुक्त होते ही माता पार्वती ने भगवान शंकर से कहा की स्वामी आप कृपा कर इस ननद को अपने ससुराल पहुंचा दीजिये. तभी से भाभी और ननद के बीच में नोक-झोंक होती चली आ रही है.
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