आप सभी ने नंदगांव और बरसाना का नाम तो जरूर सुना ही होगा. ये दो वह गांव हैं जो कि भगवान कृष्ण के काफी ज्यादा करीब थे. इन गांव की लट्ठमार होली भी विश्व प्रसिद्ध है और यहां की ऐसी परंपरा है सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के अलावा इस गांव की एक ऐसी भी परंपरा है, जिसके कारण इन दोनों ही गांवों के लोग कभी आपस में वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ते. जी हां... इन दोनों गांव की यह अनोखी परंपरा पिछले करीब 50 हजार साल से चली आ रही है.
आपको बता दें नंदगांव और बरसाना के बीच पिछले 50 हजार साल से कोई भी शादी नहीं हुई है. जी हां... लेकिन फिर भी इन दोनों ही गांवों के सभी लोग आपस में ससुराल की रस्म जरूर निभाते हैं. इस बारे में नंदगांव के युवा ऐसा मानते हैं कि बरसाना उनका ससुराल है. यहां के स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि, 'दोनों गांवों में हर जाति बिरादरी के लोग रहते हैं, लेकिन किसी ने भी आज तक न तो बरसाना में बेटे की शादी की है और न ही नंदगांव में किसी ने बेटी की.' इस परंपरा के पीछे भगवान कृष्णा और राधा रानी का ही प्रेम है और इसी पराम् को आज तक दोनों ही गांवों के लोगों ने सहेज कर रखा हुआ है.
इस बारे में बरसाना के लोगों का कहना है कि, 'यहां का सिर्फ एक ही दामाद रहेगा और वो हैं श्रीकृष्ण और नंदगाव की भी सिर्फ एक बहू भी रहेंगी और वो हैं राधा रानी.' साथ ही नंदगांव और बरसाना के लोग भी यह मानते हैं कि, 'अगर इन दोनों ही गांवों के बीच रिश्ता जुड़ गया तो लोग राधा-कृष्ण के प्रेम को भूल जाएंगे.' कहा तो यह भी जाता है कि बरसाना के बूढ़े-बुजुर्ग नंदगांव को राधा रानी का ससुराल मानते और वह तो उनकी सीमा का पानी तक नहीं पीते.
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