बैंगलोर: कर्नाटक सरकार के अधीन काम करने वाले कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने आज मंगलवार को सभी प्रकार के दूध की कीमतों में 2 रुपये की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। हालांकि, KMF ने कहा कि यह मूल्य वृद्धि नहीं है, बल्कि आपूर्ति और मूल्य निर्धारण तंत्र में संशोधन है। KMF के अध्यक्ष भीमा नाइक ने कहा कि नंदिनी अब प्रत्येक पैकेट में अतिरिक्त 50 मिलीलीटर दूध भेजना शुरू करेगी और आपूर्ति में वृद्धि के अनुरूप अतिरिक्त लागत लगाई गई है।
नाइक ने कहा कि, "राज्य का दूध उत्पादन करीब 15 फीसदी बढ़ गया है। इस अतिरिक्त आपूर्ति को बेचने के लिए हमने पैकेट की क्षमता 50 मिलीलीटर बढ़ा दी है और इसलिए कीमत भी उसी अनुपात में बढ़ गई है।" KMF के एक बयान के अनुसार, कर्नाटक भारत में दूध का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दक्षिण भारत में सबसे बड़ा उत्पादक है। KMF के एक बयान में कहा गया है, "हम जल्द ही एक करोड़ लीटर प्रतिदिन का उत्पादन हासिल कर लेंगे। करीब 27 लाख किसान KMF को दूध की आपूर्ति कर रहे हैं और महासंघ किसानों और उपभोक्ताओं दोनों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
बता दें कि, मूल्य संशोधन एक साल के भीतर दूसरा और पिछले 18 महीनों में तीसरा है। नवंबर 2022 में, KMF ने दूध की कीमतों में संशोधन किया था और इसमें 3 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इसी तरह, जुलाई 2023 में कीमतों में फिर से 3 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी।
कर्नाटक में आर्थिक संकट, केंद्र से मांग रहे स्पेशल पैकेज :-
उल्लेखनीय है कि, कर्नाटक सरकार इस समय आर्थिक तंगी का सामना कर रही है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने चुनावों के वक़्त जनता से जो फ्री के वादे किए थे, उसे पूरा करने में सरकार के ख़ज़ाने पर काफी बोझ पड़ रहा है। इन वादों से 5.10 करोड़ लोगों को लाभ मिलने का दावा किया गया है और इनको पूरा करने से 2023-24 में राज्य पर 36,000 करोड़ रुपये का खर्च का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के लिए इन योजनाओं के लिए आवंटित बजट 52,009 करोड़ रुपये है। लेकिन, चुनावी गारंटियों को पूरा करने के बाद कांग्रेस सरकार के पास विकास के लिए पैसा नहीं बचा है। एक बैठक में जब विधायक अपने क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए फंड मांगने डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के पास गए थे, तो उन्होंने कहा था कि, अभी हमने गारंटियों को पूरा करने में पैसा लगाया है, विकास के लिए अभी फंड नहीं है।
हालाँकि, राज्य सरकार के पास फंड की कमी फिर भी बनी हुई है, सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने अपनी 5 चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए SC/ST वेलफेयर फंड से 11 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए थे। बता दें कि, कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है। लेकिन उन 34000 करोड़ में से भी 11000 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने निकाल लिए। इसके बाद राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना शुरू की, जिसमे उन्हें वाहन खरीदने पर 3 लाख तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया था। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल बजट में कांग्रेस सरकार ने ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़, और वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ आवंटित किए थे, इसके बाद कमाई करने के लिए मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के भारी विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका था। हालांकि, 2024-25 के लिए राज्य का कुल राजस्व घाटा बजट 3,71,383 करोड़ रुपये है, जिसमें पहली बार राज्य की उधारी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
इसी साल जब राज्य में सूखा पड़ा, तो भी राज्य सरकार के पास पैसा नहीं था, केंद्र द्वारा उसे 3500 करोड़ रुपए जनता को राहत देने के लिए प्रदान किए गए थे। अभी कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर एकसाथ 3 रुपए बढ़ा दिए थे, एक मंत्री ने कहा था कि, विकास और गारंटियों को पूरा करने के लिए धन चाहिए, इसलिए कीमतों में वृद्धि की गई है। इसके अलावा, कांग्रेस सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के उपाय बताने के लिए एक अमेरिकी फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) को काम पर रखा गया है, जिस पर छह महीने में राज्य को 9.5 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस अमेरिकी फर्म ने सुझाव देना भी शुरू कर दिए हैं, हो सकता है दूध में वृद्धि भी इसी का सुझाव हो। मौजूदा समय में कर्नाटक सरकार ने संपत्ति मार्गदर्शन मूल्यों में भी 15-30% का इजाफा किया, भारतीय निर्मित शराब (IML) पर 20% अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (AED) लगाया, बीयर पर AED को 175% से बढ़ाकर 185% किया और नए पंजीकृत परिवहन वाहनों पर 3% अतिरिक्त उपकर लागू किया। 25 लाख रुपये से अधिक की लागत वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पर आजीवन टैक्स का प्रावधान किया और गैर-पंजीकरण-आवश्यक दस्तावेजों के लिए स्टांप शुल्क 200% से बढ़ाकर 500% कर दिया गया। ये तमाम चीज़ें, संपत्ति कर, जल कर और बस किराए में भविष्य में वृद्धि का भी संकेत देती हैं। इसके अलावा कर्नाटक सरकार ने इंजीयरिंग कॉलेज की फीस में भी 10 फीसद का इजाफा कर दिया है, जो छात्रों के लिए बड़ा झटका है।
हालाँकि, इसके बावजूद राज्य में आर्थिक संकट बना हुआ है और दो दिन पहले ही कांग्रेस सरकार ने केंद्र से 11 हज़ार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज देने की मांग की है। दरअसल, चुनावों के दौरान ही अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि, पार्टी जिस तरह से वादे कर रही है, उससे हो सकता है कि वो चुनाव जीत जाए, लेकिन इससे राज्य सरकार के ख़ज़ाने पर भारी बोझ पड़ेगा और व्यवस्था चरमरा जाएगी, लेकिन कांग्रेस ने सलाह नहीं मानी और आज सचमुच राज्य आर्थिक संकट में घिर गया। 200 यूनिट बिजली फ्री के वादे से बिजली का अंधाधुंध दोहन हुआ और फिर नौबत कटौती की आ गई, जिस बेल्लारी को राहुल गांधी ने 5000 करोड़ देकर जीन्स कैपिटल बनाने का वादा किया था, वहां 5-6 घंटे बिजली गुल रहने से कारोबार ठप्प हो गया और कई लोग महाराष्ट्र, गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में चले गए। इस लोक सभा चुनाव में भी पार्टी ने महिलाओं को खटाखट 1 लाख, बेरोज़गारों को 1 लाख, हर बार किसानों के कर्जे माफ़ जैसे लोकलुभावन वादे किए थे, लेकिन सोचिए जब 2000 देने में ही राज्य का खज़ाना खाली हो गया है, तो 1 लाख रुपए कहाँ से दिए जाते ? एक अनुमान के तौर पर 140 करोड़ की देश की आबादी में यदि 25 करोड़ गरीब महिलाएं भी मानें, तो उन्हें साल के 25 लाख करोड़ रुपए जाते, जो देश के कुल बजट का आधा हिस्सा है। इसके बाद बेरोज़गार, किसान, शिक्षा, स्वास्थय, रक्षा, विकास, सड़क, पानी जैसे मुद्दों का क्या होता ?
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