आप सभी को बता दें कि आज नारद जयंती है. ऐसे में आज पूरे देश में इस जयंती को अलग-अलग रूपों में मनाया जा रहा है. कहते हैं देवताओं के ऋषि कहे जाने वाले 'नारद मुनि' की जयंती हर साल कृष्णपक्ष की द्वितीया को मनाते हैं और हिन्दु शास्त्रों के अनुसार, नारद, ब्रह्मा के 17 मानस पुत्रों में से एक थे, जिन्होंने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया था, वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नारद मुनि से जुड़ी कुछ खास बातें.
* कहा जाता है देवर्षि नारद धर्म के प्रचार और लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं और शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है, यही वजह है कि सभी युगों में, सभी लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में नारद का सदा से एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है, नारद मुनि का आदर केवल देवता ही नहीं बल्कि असुर भी करते थे.
* मान्यता है कि नारद मुनि परमपिता ब्रह्मा के 17 मानस पुत्रों में से एक थे, नारद ने 'नारद पुराण' की रचना की थी, इसमें उन्होंने बताया है कि कलयुग में पाप बढ़ जाएगा और संसार में संतुलन स्थापित करना मुश्किल हो जाएगा.
* आपको बता दें कि नारद मुनि को देवर्षि कहा गया है, बहुत सारे धर्मग्रन्थों में इनका उल्लेख आता है. इसी के साथ 'नारद पुराण' या 'नारदीय पुराण' अट्ठारह महा पुराणों में से एक पुराण है और इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी व्यक्ति भी पापमुक्त हो जाते हैं. कहा जाता है इसमें पापियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति ब्रह्महत्या का दोषी है, मदिरापान करता है, मांस भक्षण करता है, वेश्यागमन करता हे, तामसिक भोजन खाता है और चोरी करता है तो वह पापी है.
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