'हिंदूवादी और सांप्रदायिक थे नरसिम्हा राव..', अपनी ही पार्टी के दिवंगत PM पर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का गंभीर आरोप

'हिंदूवादी और सांप्रदायिक थे नरसिम्हा राव..', अपनी ही पार्टी के दिवंगत PM पर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का गंभीर आरोप
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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने अपनी हालिया टिप्पणी से एक और विवाद खड़ा कर दिया है कि भाजपा के पहले प्रधानमंत्री, दिवंगत पीवी नरसिम्हा राव थे, अटल बिहारी वाजपेयी नहीं। अय्यर ने यह भी कहा कि राव एक ''सांप्रदायिक और हिंदूवादी'' प्रधानमंत्री थे। शायद इसीलिए अय्यर ने राव को भाजपा से जोड़ा है, क्योंकि उनकी नज़रों में कांग्रेस के दिवंगत नेता (राव) हिंदूवादी थे। 

 

अय्यर ने ये टिप्पणी अपनी पुस्तक 'मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक - द फर्स्ट फिफ्टी इयर्स (1941-1991)' कार्यक्रम के लॉन्च के बाद की। मणिशंकर अय्यर ने राव को एक कट्टर सांप्रदायिक और हिंदू-उन्मुख मानसिकता वाला व्यक्ति बताया। अय्यर ने नरसिम्हा राव के साथ हुई बातचीत का एक किस्सा साझा किया। यह बातचीत उस दौरान हुई जब पूर्व राजनयिक अय्यर अपनी राम रहीम यात्रा का संचालन रामेश्‍वरम से अयोध्‍या तक कर रहे थे। अय्यर ने कहा कि उन्हें ओडिशा से दिल्ली बुलाया गया था। अय्यर ने कहा कि नरसिम्हा राव ने उनसे कहा कि, 'मैं आपकी यात्रा से असहमत नहीं हूं, लेकिन धर्मनिरपेक्षता के आपके विचार से मेरी असहमति है।'

अय्यर ने आगे बताया कि, 'मैंने उनसे पूछा, सर, आपको धर्मनिरपेक्षता की मेरी व्याख्या में क्या दोष लगता है?' तो उनकी (राव की) प्रतिक्रिया थी कि, 'मणि, आप यह समझने में विफल हैं कि यह स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है।' मैं हैरान था।' इसके बाद, अय्यर ने कहा कि, यही तो भाजपा का भी दावा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, भारत में पहले भाजपा के पीएम, राव थे, अटल बिहारी वाजपेयी नहीं। बता दें कि, राव 1991 से 1996 तक प्रधान मंत्री के पद पर रहे। जबकि उनका कार्यकाल मुख्य रूप से 1991 में आर्थिक उदारीकरण उपायों को शुरू करने के लिए याद किया जाता है, यह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ भी मेल खाता था।

अय्यर की पुस्तक भारतीय विदेश सेवा में एक राजनयिक के रूप में उनके जीवन का विवरण देती है, जिसमें पाकिस्तान में उनके उल्लेखनीय कार्य (दिसंबर 1978 से जनवरी 1982 तक कराची में महावाणिज्य दूत के रूप में कार्य करना) और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के साथ उनके करीबी संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान उनकी प्रत्यक्ष टिप्पणियों पर भी प्रकाश डालती है। यह उस अवधि के दौरान अशांति को नियंत्रित करने के लिए सरकारी कार्यों पर सवाल उठाता है।

अय्यर की टिप्पणी पर पलटवार-

पीवी नरसिम्हा राव के पोते और भाजपा के प्रवक्ता एनवी सुभाष ने मणिशंकर अय्यर की कड़ी आलोचना की और कांग्रेस नेता पर चुनाव से ठीक पहले लगातार विवादास्पद बयान देने का आरोप लगाया है। सुभाष ने कहा कि, 'ऐसा लगता है कि मणिशंकर अय्यर देश भर का ध्यान खींचने वाले विवाद पैदा करने पर आमादा हैं। पीवी नरसिम्हा राव ने कांग्रेस पार्टी के भीतर कितने पदों पर काम किया है और हमारे देश के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया है।' वहीं, भाजपा नेता संबित पात्रा ने मणिशंकर अय्यर की आलोचना करते हुए दावा किया कि कांग्रेस पार्टी, गांधी परिवार के बाहर के किसी भी प्रधानमंत्री को बर्दाश्त नहीं कर सकती। पात्रा ने कहा कि, 'मणिशंकर अय्यर, गांधी परिवार के ‘मुकुटमणि’ है। मणिशंकर अय्यर जो कुछ बयान देते हैं, जिव्हा तो उनकी होती है लेकिन विचार ‘गांधी परिवार’ के होते हैं।'

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