प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के जरिये बीमित फसलों में किसानों के हिस्से के प्रीमियम में सरकार परिवर्तन नहीं करेगी। इसके साथ ही कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस आशय की जानकारी दी है । इसके साथ ही एक कृषि सम्मेलन में पीएमएफबीवाई के सीईओ और कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव आशीष के. भूटानी ने कहा, ‘किसानों के प्रीमियम में बदलाव की बात सही नहीं है। वहीं फसल बीमा योजना के तहत किसानों के प्रीमियम हिस्से में बदलाव किसी भी परिस्थिति में बदलने वाला नहीं है।’वहीं भूटानी ने स्पष्ट किया कि न तो किसानों का प्रीमियम बदला गया है और न ही भविष्य में इसे समाप्त किया जा सकता है ।
किसानों को भुगतान दावों के निस्तारण में देरी संबंधी आलोचनाओं के बारे में अधिकारी ने कहा कि यह मुख्य रूप से तीन कारणों से होता है। वहीं उन्होंने कहा, ‘इस देरी का प्रमुख कारण राज्य सब्सिडी का समय पर नहीं आना है। दूसरा बीमा कंपनियों को फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) आंकड़े देने में होने वाली देरी है। वहीं तीसरा कारण राज्यों के द्वारा संग्रहीत सीसीई आंकड़ों पर कंपनियों द्वारा उठाया गया विवाद है।’ भूटानी ने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए योजना में कुछ बदलाव किए गए हैं। इसके साथ ही निर्धारित समय सीमा से परे बीमा कंपनियों को अपेक्षित प्रीमियम सब्सिडी जारी करने में काफी देरी किए जाने की स्थिति में राज्यों को बाद के सत्रों में योजना को लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि खरीफ और रबी सीजन के लिए इस प्रावधान को लागू करने की कट ऑफ तारीखें क्रमश: 31 मार्च और 30 सितंबर होंगी। इसके साथ ही कंपनियों की नहीं चलती मनमानी बीमा कंपनियां को योजना के तहत धन लाभ होने संबंधी खबरों का खंडन करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘यह सही नहीं है। मोटर बीमा में थर्ड पार्टी आकलनकर्ता होता है, लेकिन यहां दावा प्रतियोगिता की पूरी कवायद राज्य सरकार के पास होती है। वहीं कंपनियों के पास राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयोगों का सह-निरीक्षण करने का अधिकार है।’
अधिकारी के मुताबिक यदि सीसीई के आंकड़े समय पर नहीं दिए जाते हैं, तो दावों के समय पर भुगतान के मकसद से आंकड़े जुटाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है । अधिकारी ने कहा कि पीएमएफबीवाई योजना में वर्तमान में सीसीई पुरानी तकनीक पर चल रही है, जिसमें हेरफेर का खतरा है। अधिकारी ने कहा कि इसमें प्रौद्योगिकी आधारित मूल्यांकन की ओर कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसल और क्षेत्र विशेष उपज अनुमान पर काम करने के लिए 13 एजेंसियों को काम पर रखा है।ऐसा बतया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी, 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। वहीं योजना के तहत किसानों को उनकी फसलों के लिए प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बहुत ही कम प्रीमियम पर व्यापक फसल बीमा उपलब्ध कराया जाता है। वहीं खरीफ फसलों के लिये दो प्रतिशत की दर पर, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत एवं बागवानी और नकदी फसलों के लिए पांच प्रतिशत की प्रीमियम दर पर बुवाई के पहले से लेकर फसल कटाई के बाद तक के लिए फसल बीमा कवच उपलब्ध कराया जाता है।
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