नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन 34वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि UPA शासनकाल के दौरान तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और कृषि मंत्री शरद पवार कृषि सुधार करना चाहते थे, किन्तु 'सियासी दबाव' के चलते इन्हें लागू नहीं कर सके। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार कोई भी ऐसा निर्णय नहीं लेगी जो किसानों और गरीबों के लिए नुकसानदायक हो।
गौरतलब है कि कृषि मंत्री नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताने आए 11 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे जो कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर से दिल्ली पहुंचे थे। किसान प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के दौरान कही गई बातों का हवाला देते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, 'पीएम मोदी कि अगुवाई में सुधार के लिए जो भी सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, कुछ वर्गों द्वारा उनका विरोध किया गया। हालांकि, यह सुधार देश की तस्वीर बदलने के लिए बेहद मददगार रहे हैं।'
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार गतिरोध समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि, 'कुछ ताकतें अपनी योजनाओं को पूरा करने के चलते किसानों के कंधों का उपयोग करने की कोशिश कर रही हैं।'
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