नई दिल्ली: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयक को बुधवार (20 सितंबर) को संसद के निचले सदन में मंजूरी दे दी गई। नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक आज राज्यसभा में विचार के लिए रखा जाएगा। आठ घंटे तक चली जोरदार बहस के बाद लोकसभा ने संविधान (128वां संशोधन) विधेयक पारित कर दिया, जिसके पक्ष में 454 सदस्यों ने मतदान किया और इसके खिलाफ केवल दो सदस्यों ने मतदान किया। बहस में कुल 60 सदस्यों ने भाग लिया।
बिल के खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनकी ही पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील ने वोट किया। पीएम नरेंद्र मोदी विधेयक पर मतदान के दौरान उपस्थित थे, जो नए संसद भवन में पारित होने वाला पहला विधेयक था। सरकार ने मंगलवार को निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया, जिससे पार्टियों के बीच आम सहमति के अभाव में 27 वर्षों से लंबित विधेयक को पुनर्जीवित किया गया।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं को समान लाभ देने और 2024 में आम चुनाव से पहले उपाय को तत्काल लागू करने की विपक्ष की मांगों के बीच निचले सदन में विधेयक आसानी से पारित हो गया। हालांकि, सरकार ने कहा कि कोटा लागू किया जाएगा। संभवतः 2029 तक जब जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
'इस बिल के पारित होने से हमें खुशी है', महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में बोलीं सोनिया गांधी
कनाडा में रहने वाले भारतियों के लिए बड़ी खबर! सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी ये सलाह