इंदौर/उज्जैन। एक ओर जहां केंद्र की राजग सरकार क्लीन गंगा प्रोजेक्ट और जल संरक्षण व संवर्द्तिमहत्र् करने के दावे कर रही है वहीं राजग में प्रभुत्व वाले दल भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश में करोड़ों की महत्वाकांक्षी योजना पर पलीता लग रहा है। अति महत्वकारी राष्ट्रीय नदी जोड़ो योजना के तहत जिस प्रोजेक्ट को प्रारंभ किया गया था अब उसका लाभ न तो किसानों को मिल पा रहा है और न ही क्षेत्र के रहवासी लाभ ले पा रहे हैं।
दरअसल सिंहस्थ 2016 में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाली शिप्रा नर्मदा लिंक योजना लगता है ठीक तरह से कार्य नहीं कर रही है। एक ओर मध्यप्रदेश के 5 वें बड़े शहर समझे जाने वाले उज्जैन में पेयजल संकट गहरा गया है और शहर को जलापूर्ति करने में सहायक गंभीर बांध में कुछ ही पानी बचा है ऐसे में करीब 432 करोड़ रूपए की नर्मदा शिप्रा लिंक योजना के तहत वाॅटर सप्लाय नहीं हो पा रहा है।
बताया जा रहा है कि सिसलिया तालाब के पास पानी का प्रेशर बंद हो गया है। जिसके कारण इस योजना का लाभ ऐसे समय में लोगों को नहीं मिल पा रहा है जब इसकी अधिक जरूरत है। मजबूरन लोगों को शिप्रा नदी से जल सप्लाय करना पड़ रहा है, इस पानी का रंग काफी पीला है
गौरतलब है कि सिंहस्थ के दौरान शिप्रा में प्रदूषणयुक्त जल को मिलने से रोकने के लिए कान्ह डायवर्शन किया गया था मगर जानकारी यह भी सामने आई है कि कान्ह की ओर से नदी में प्रदूषित जल अब भी मिल रहा है। ऐसे में नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना बेहद मुश्किल हो गया है।
उल्लेखनीय है कि इस नदी को प्रदूषण मुक्त और संरक्षित करने के लिए अब तक राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के अंतर्गत करीब 14 करोड़ से भी अधिक का ख्.ार्चा हो चुका है लेकिन नतीजा हरबार सिफर ही रहा है। अब जिम्मेदार इन बातों से पल्ला झाड़कर और शहर में दूसरे स्त्रोंतों से जलप्रदाय की व्यवस्था का हवाला देकर अपनी इतिश्री कर रहे हैं।
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