वाशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को निसाल सैटेलाइट (NISAR) सौंपा जा चुका है। इसे रिसीव करने इसरो प्रमुख डॉ। एस सोमनाथ खुद जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी गए हुए थे। अब इस सैटेलाइट को इंडिया लाया जाने वाला है। यह ऐसी सैटेलाइट है जो जोशीमठ जैसी घटनाओं के होने से पहले अलर्ट भी देने वाला है। सैटेलाइट बनाने में तकरीबन 10 हजार करोड़ की लागत आई है। इस सैटेलाइट को GSLB-MK2 रॉकेट से लॉन्च किया जाने वाला है। निसार का लाभ पूरी दुनिया को हो सकता है। यह सैटेलाइट दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने वाला है। ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है।
इसका रडार इतना दमदार होने वाला है कि यह 240 किलोमीटर तक के क्षेत्रफल की एकदम साफ तस्वीरें ले पाएंगे। यह धरती के एक स्थान की तस्वीर 12 दिन के उपरांत फिर लेगा। क्योंकि इसे धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में 12 दिन लगेंगे। इस बीच यह धरती के अलग-अलग भाग की रैपिड सैंपलिंग करते हुए तस्वीरें और आंकडे वैज्ञानिकों को मुहैया भी करवाने वाला है। इस मिशन की लाइफ 5 वर्ष मानी जा रही है। इस दौरान निसार ज्वालामुखी, भूकंप, भूस्खलन, जंगल, खेती, गीली धरती, पर्माफ्रॉस्ट, बर्फ का कम ज्यादा होना आदि विषयों की स्टडी करने वाला है।
Today was all about NISAR!
NASA JPL (@NASAJPL) February 4, 2023
It’s nearly time for the scientific heart of this @NASAEarth satellite to head to southern India ahead of its planned 2024 launch, so of course, we had to send it off in true JPL style. https://t.co/dNvZEP1pBa pic.twitter.com/cgkAqQk4iR
निसार सैटेलाइट में एक बड़ा मेन बस होगा, जिसमें कई इंस्ट्रूमेंट्स लगे हो सकते है। साथ ही कई ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम होगा। जिसके साथ साथ इसमें से एक आर्म भी निकलने वाला है, जिसके ऊपर एक सिलेंडर होने वाला है। यह सिलेंडर लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद खुलेगा तो इसमें डिश एंटीना जैसी एक बड़ी छतरी भी निकल सकती है। यह छतरी ही सिंथेटिक अपर्चर रडार है। यही धरती पर होने वाली प्राकृतिक गतिविधियों की इमेजिंग करेगी।
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