नई दिल्ली : मिशन शक्ति पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बयान को भारतीय विशेषज्ञों ने दुष्प्रचार बताया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने पहचान ना बताने की शर्त पर कहा कि मलबा 45 दिनों में साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा, "ये परीक्षण मलबे के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए किया गया था। दुनिया को यह पता होना चाहिए कि दो चीनी परीक्षणों के बाद मलबा अभी भी वहां मौजूद है, जबकि भारतीय परीक्षण से हुआ मलबा गायब हो जाएगा।
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इस तरह नष्ट हो जायेगा मलबा
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकारी ने बताया कि ए-सैट परीक्षण के बाद 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर बने मलबे बिना ऊर्जा या गति के आखिरकार गिरकर पृथ्वी के वातावरण में जलकर नष्ट हो जाएंगे। इसरो सैटेलाइट सेंटर के पूर्व निदेशक डॉक्टर एम अन्नादुराई का कहना है कि अंतरिक्ष में मलबा सैटेलाइट आदि के लांच से भी होता है। जिसमें अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं। डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत ने नासा प्रमुख के आरोप को दुष्प्रचार बताया है।
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खुद नष्ट हो जाता है कचरा
इसी के साथ उन्होंने कहा, नासा प्रमुख के आरोप दुष्प्रचार है। यह महज एक अनुमानित बयान है। जहां तक हमारे ए-सैट मिसाइल टेस्ट की बात है, तो इन सभी टुकड़ों का अंतरिक्ष में ज्यादा समय तक रहने लायक वेग ही नहीं है। करीब 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर ए-सैट परीक्षण से पैदा हुआ यह मलबा आखिरकार नीचे गिरते हुए पृथ्वी के वातावरण में पहुंचकर जल जाएगा।
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