'नसीरुद्दीन शाह ने कहा था मुस्लिम सुरक्षित नहीं, मैं कहूंगा कि 100 करोड़ होने पर भी हिंदू सुरक्षित नहीं', आखिर क्यों ऐसा बोले मुकेश खन्ना?

'नसीरुद्दीन शाह ने कहा था मुस्लिम सुरक्षित नहीं, मैं कहूंगा कि 100 करोड़ होने पर भी हिंदू सुरक्षित नहीं', आखिर क्यों ऐसा बोले मुकेश खन्ना?
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महाभारत में भीष्म के तौर पर घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाले मुकेश खन्ना भी आदिपुरुष के निर्माताओं से बहुत नाराज हैं। मुकेश खन्ना का गुस्सा फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर पर भी है तथा उन फिल्ममेकर्स पर भी जो उनके अनुसार, सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए फिल्म बनाते हैं। मुकेश खन्ना ने कहा कि मैंने फिल्म नहीं देखी है तथा मुझे इसकी आवश्यकता महसूस भी नहीं हुई। कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो इतनी फैल जाती है कि उसको देखना या न देखना एक बराबर है। मैं ऐसी घटिया फिल्म देखना नहीं चाहूंगा। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि कॉमेडी अच्छी बनी है। मतलब रामायण को कॉमेडी बनाकर कौन प्रेजेंट कर सकता है। मुकेश कहते हैं कि पूरी तरह लापरवाही लेखक की है। मैं उससे भी अधिक जिम्मेदार सेंसर बोर्ड को मानता हूं। सेंसर बोर्ड कैसे इस प्रकार के डायलॉग्स को पास कर सकता है। जहां रामायण का मजाक बनाया गया है। यहां सिर्फ गलतियां डायलॉग्स में ही नहीं हैं, बल्कि कई फैक्ट्स भी तो गलत हैं। आप यहां हिरण्यकश्यप के वरदान को दिखा रहे हैं कि रावण को मिला है। जबकि ये कहते हैं कि हमने बहुत रिसर्च किया है। मजाक बना दिया है। सेंसर बोर्ड के ऊपर प्रश्नचिन्ह उठ गया है। आप पीके, काली मां के सिगरेट वाले पोस्टर, लक्ष्मी मां के साथ बॉम जैसे शब्द का उपयोग जैसी चीजों को पास कराए जा रहे हैं। पता करें कि आखिर उनकी मंशा क्या है?

मुकेश का गुस्सा केवल आदिपुरुष को लेकर नहीं है। वो बोलते हैं कि नसीरुद्दीन शाह ने एक कमेंट पास किया था कि मुस्लिम सुरक्षित नहीं हैं। मैं तो कहना चाहूंगा कि हिंदू यहां सौ करोड़ की आबादी में होने के पश्चात् भी सुरक्षित नहीं हैं। सुरक्षा के लिए भी हिंदुओं के बीच एकता की जरुरत है। यहां दर्जी को काट दिया जाता है, हनुमान के मंदिर में पत्थरबाजी कर रहे हैं तथा पुलिस बचाने को नहीं आ रही है। यही सबके गुस्से का परिणाम है। यहां लोगों ने कमर्शल डिसीजन लिया है कि वो सनातन धर्म का मजाक बनाएंगे, जिससे लोग बवाल मचाएंगे और चुप हो जाएंगे। जिससे हमारा करोड़ों का बिजनेस चल पड़ेगा। यह तो कई फिल्मों से चलता आ रहा है। अब दर्शक ये बात समझ गए हैं। मुकेश खन्ना ने कहा कि ये मुंतशिर के सिर पर ओले पड़े हैं। वो होते कौन हैं रामायण जैसी कहानी का अपना वर्जन लेकर आने वाले? किसने ये अधिकार दिया है? ये तो बच्चों को ये सिखाना चाहते हैं कि भूल जाओ अपने मां बाप द्वारा बताई गई कहानियों को, मैं जो दिखा रहा हूं वो ही सही है। 

मुकेश ने कहाकि 150 करोड़ के आर्टिस्ट प्रभास को आपने इसलिए लिया जिससे वो अधिक से अधिक फाइनैंसियल फायदा दे पाए। अब बताएं, उन्होंने कितना इन्साफ किया इस किरदार से, कई जगह तो यीशू लग रहे थे। केवल बॉडी दिखाने से कोई राम नहीं बन जाता है, बल्कि राम के आचरण को अपने जीवन में उतारना पड़ता है। ये सब चीजें केवल पैसे से नहीं तोली जाती हैं। सिर्फ चोटी रख लेने से अक्षय कुमार पृथ्वीराज चौहान तो नहीं बन सकता है न। बात यही है कि आप अपने काम के प्रति कितने ईमानदार हैं। मुकेश खन्ना आगामी फिल्मों में राम के किरदार को लेकर बोलते हैं कि मैं नहीं जानता कि रणबीर कपूर कैसा करेंगे किन्तु यदि उनका चयन कमर्शल नजरिये से हुआ होगा, तो गलत है। वहीं हमारे समय में हमें अपनी भूमिका के प्रति स्वयं को झौंक देना पड़ता था। मैं सात इंच का मुकुट लगाए, धोती पहने सेट पर घूमता था। अपने किरदार की इज्जत करता था। जिसका नतीजा यही है कि किरदार अमर हो गया। अरुण गोविल, दीपिका आज इसलिए भी रिस्पेक्ट भरी नजरों से देखे जाते हैं क्योंकि अपनी भूमिका के प्रति उनका सम्मान कभी कम नहीं हुआ था।

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