नई दिल्ली: 14 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। 2001 में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) इस दिवस को मनाने का आरम्भ ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा स्थापित किया गया। गौरतलब है कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो एक संवैधानिक निकाय है। यह भारत सरकार के अंतर्गत आता है। ऊर्जा का सही प्रकार से उपयोग करने, कम इस्तेमाल करने के लिए नीतियां एवं रणनीतियों बनाई जाती है।
ऊर्जा संरक्षण का सही मायने में अर्थ है उर्जा का अनावश्यक इस्तेमाल को कम करके कम ऊर्जा का इस्तेमाल कर बचत करना। भविष्य के लिए भी ऊर्जा को बनाए रखना बहुत आवश्यक है। जिस प्रकार से देशभर में निरंतर कोयला संकट का मुद्दा उठता है कोयला संकट को लेकर वाक्य में आज कई सारे प्रदेश सच में जूझ रहे हैं। जिसमें पंजाब प्रमुख रूप से हैं। कुशलता से ऊर्जा का इस्तेमाल कर भविष्य के लिए उसे बचाना बहुत आवश्यक है।
विद्युत मंत्रालय द्वारा भारत सरकार ने 1991 में एक योजना आरम्भ की जो प्रत्येक वर्ष उद्योगों एवं प्रतिष्ठानों को पुरस्कार देकर राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करती है। हर 14 दिसंबर को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाता है जिन्होंने उत्पादन को बनाए रखने एवं ऊर्जा खपत को कम करने के लिए विशेष प्रकार से कार्य किया। ऊर्जा भी अलग-अलग तरह की होती है। पानी के बहते झरने से उत्पन्न ऊर्जा गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा होती है। वहीं लकड़ी, कोयले को जलाने से रासायनिक ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। मशीन में काम करने के लिए यांत्रिक ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है। खाना पकाने के लिए सौर विकिरण से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है। देश में कोयला संकट नहीं हो लेकिन जिस प्रकार से ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ी है उस हिसाब बहुत जल्द संकट भी हो सकता है। मगर ऊर्जा कोबचाकर संकट को कम किया जा सकता है। जब कभी भी लाइट, पंखे, लाइट या हीटर का उपयोग नहीं हो तो बेहतर होगा इनका स्विच बंद कर दिया जाए। कई देशों में ऊर्जा संरक्षण को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कार्बन टैक्स भी लगाया गया है। जिससे ऊर्जा का बेलगाम इस्तेमाल नहीं हो।
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