इंजीनियर्स जिन्हें हिंदी में अभियंता कहा जाता है उनका देश-विदेश की तरक्की में बेहद महत्वपूर्ण योगदान है। समाज को हर बार इंजीनियर्स ने समृद्धि का रास्ता दिखाया है और कई दफ़ा तो समाज को अभियंताओं ने मंजिलों पर लाकर भी खड़ा किया है। बदले में समाज ने भी इंजीनियर्स को उचित सम्मान प्रदान किया है और उनके नाम से एक पूरा दिन ही समर्पित कर दिया। इंजीनियर डे न केवल भारत के महान इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया को समर्पित है, बल्कि यह सभी इंजीनियर्स के लिए गर्व का दिन है।
एम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को ही प्रतिवर्ष अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इंजीनियर्स दिवस को मनाए जाने के पीछे का उद्देश्य इंजीनियर्स के महत्व को समाज के सामने भली-भांति प्रस्तुत करना है। लोगों को यह बताना है कि किस प्रकार से इंजिनीयर्स ने समाज, देश-विदेश के विकास में अहम योगदान दिया है। राष्ट्र निर्माण में जिनका नाम प्रमुख रूप से शामिल होता है, उस सूची में इंजीनियर्स भी होते हैं।
आधुनिकता के इस युग में इंजीनियर्स का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। बिना इंजीनियर्स के तरक्की और तकनीक दोनों को ही नहीं देखा जा सकता है। इंजीनियर्स के होने से राष्ट्र आज ऐसे स्थान पर खड़ा है, जो कि कभी हमारे पूर्वजों का स्वप्न हुआ करता था। इंजीनियर्स ने इस स्वप्न को पूर्ण करके दिखाया है। आज हम सीधे-सीधे बड़ी आसानी से जो तकनीक के साथ सामंजस्य बैठा लेते हैं, उनमें कहीं न कहीं हमारे इंजीनियर्स की कड़ी मेहनत और संघर्ष का समावेश है।
सभी भारतीयों का सिर गर्व से उस समय और भी ऊंचा हो उठता है जब वे देखते हैं कि मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जैसे महान इंजीनियर ने हमारे देश में जन्म लिया। यह उनकी अथक मेहनत और प्रयासों का ही परिणाम है कि वे बाद में 'भारत रत्न' कहलाए। साल 1955 में भारत सरकार ने मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या को विशेष उपलब्धियों के लिए देश का सबसे उँचा राष्ट्रीय सम्मान 'भारत रत्न' प्रदान किया था।
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