गरीब बच्चे-बच्चियों का बचपन मानव तस्करों के जाल पर फंसकर उलझकर रह जा है. मानव तस्करी का सबसे अधिक प्रभाव झारखंड में देखने को मिला है. तस्कर इन्हें झारखंड से ले जाकर दूसरे बड़े शहरों में बेच देते हैं. वहां इन बच्चों का जमकर शोषण होता है. तस्करों के खिलाफ राज्य में बड़ी लड़ाई लड़ रही हैं सीता स्वांसी. सीता की संस्था दीया सेवा संस्थान ने अब तक दूसरे राज्यों से 950 लड़के-लड़कियों को रेस्क्यू कराया है.
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अपने बयान में सौ से अधिक मानव तस्करों को जेल भिजवा चुकीं सीता कहती हैं, हिंसा और यौन शोषण का शिकार बच्चों के चेहरे पर रिहाई के बाद जब मुस्कान देखती हूं तो जो खुशी मिलती है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती. तस्करों से मिलने वाली धमकी और खतरे इस खुशी के आगे कळ्छ भी नहीं. सीता ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर सैकड़ों पीड़ितों को न्याय और मुआवजा समेत सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सीता ने बाल मजदूरी और मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाए गए बच्चों का स्कूल में नामांकन कराया. उनके अभिभावकों को आर्थिक मदद दिलाई गई ताकि दोबारा ये बच्चे गरीबी के कारण दलालों के चंगुल में न फंसे. एक दशक पहले जब सीता की संस्थान ने मानव तस्करी, बाल मजदूरी, महिला हिंसा, यौन शोषण और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ काम शुरू किया था, तब लोगों को यह असंभव लगता था. वे बताना नहीं भूलते थे कि इस काम में कितना खतरा है, लेकिन सीता ने हौसला नहीं छोड़ा.
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