भारत में जारी लॉकडाउन सबके लिए एक नया अनुभव है.कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से लोगों को इस बंद का सामना करना पड़ रहा है. लोग घरों में बंद हैं.तनाव भी है.सबके रूटीन में बदलाव आया है.ऐसे में एक अहम सवाल है कि घर पर खान-पान को किस प्रकार से मैनेज करें.कुछ ऐसे लोग हैं, जो समझते हैं कि खाने-पीने में समय गुजार कर तनाव को थोड़ा कम करें.वहीं वैसे लोगों की भी कमी नहीं, जो सामान्य भोजन से भी परहेज करना चाहते हैं.खाना ही नहीं चाहते हैं.तो आइए, जानते हैं कुछ विशेष बाते
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खान पान को लेकर बिंघटम यूनिवर्सिटी में हेल्थ एंड वेलनेस स्टडीज विभाग की प्राध्यापक जेनिफर वैगमैन कहती हैं कि तनाव की स्थिति में सबसे अहम जरूरी है-खुद की देखभाल.खुद की देखभाल से उनका मतलब किसी और चीज से नहीं, बल्कि एक्सरसाइज, नींद और खान-पान से है.सीबीटी ट्रीटमेंट सेंटर एंड में लाइट ऑन एनक्सिटी की मुख्य कार्यकारी तथा डिप्रेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका की सदस्य देब्रा किस्सेन भी कहती हैं कि चिंता या व्यग्रता में तो अधिकांश लोग खाना ही छोड़ देते हैं.लेकिन यह आदत आपके लिए खतरनाक है और लंबे समय तक आप ऐसा नहीं कर सकते.जबकि इसके उलट ऐसा भी होता है कि जब आप घर में सेल्फ आइसोलेशन में होते हैं तो अपनी प्रिय खाद्य वस्तुओं का खूब संग्रह कर लेते हैं.साथ ही फिलहाल जो लोग घर से काम कर रहे हैं, उनके लिए बार-बार किचन में जाना आसान हो गया है, जिससे वे ज्यादा खाने लगे हैं.
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दैनिक भोजन को लेकर वैगमैन कहती है कि तनाव और चिंता का हम पर तथा खान-पान पर क्या असर डाल रहा है, इसकी पहचान हालात से निपटने का पहला कदम है.जैसे ही यह एहसास हो जाए कि हम परेशान हैं तो यह देखना शुरू कर देना चाहिए कि तनाव हमारे व्यवहार में किस प्रकार का बदलाव ला रहा है.यदि आप स्वस्थ रहे हैं तो हो सकता है कि थोड़े समय के लिए कम या ज्यादा खाने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़े.लेकिन यदि यह स्थिति जारी रहती है तो बेहतर है कि एक संतुलन बनाया जाए.
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