नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कई प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मिले है. इस मामले को लेकर यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि एक विधान मंडल का दूसरे विधान मंडल पर फैसला देना अनुचित है. इस चलन का निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है. पत्र में बिरला ने कहा है कि अंतर-संसदीय यूनियन का सदस्य होने के नाते हमें अन्य विधानमंडलों की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ने सीएए को समझाते हुए बताया है कि यह पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने के लिए है, न कि किसी की नागरिकता छीनने के लिए. इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद पारित किया गया है.
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इस बीच, यूरोपीय संघ (ईयू) ने यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से पेश नागरिक संशोधन कानून (सीएए) पर बहस और वोटिंग से अपने आपको अलग कर लिया है. यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यूरोपीय संसद में जो विचार व्यक्त किए जाते हैं या इसके सदस्य जो विचार सामने रखते हैं वह जरूरी नहीं है कि ईयू के अधिकारिक विचार हों. संघ ने 13 मार्च को ब्रसेल्स में होने वाली भारत और ईयू की 15वीं बैठक का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जरूरी है.
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