नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, 'राज्य में कोई 'डिटेंशन कैंप' नहीं हैं और मुस्लिम नागरिकों को उनके शासन में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा था कि अवैध प्रवासियों को पहचानने, हिरासत में रखने और उन्हें प्रत्यर्पित करने के केंद्र के अधिकार को संविधान के तहत राज्यों को हस्तांतरित (Transferred) किया गया है। राष्ट्रीयता की पहचान और उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने तक राज्यों को अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटरों में रखना चाहिए। ठाकरे द्वारा मुसलमानों को लेकर यह बयान तब आया, जब देश में CAA और NRC(राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ) को लेकर डर का माहौल है। अब जहां उन्होंने यह बात साफ कर दी है कि राज्य में कोई डिटेंशन कैंप है ही नहीं।
जानकारी के लिए बता दें कि ठाकरे ने मुस्लिम समुदाय के कुछ विधायकों के नेतृत्व में मिलने आए एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक नवाब मलिक (जो प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे) उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि मुसलमानों को राज्य में किसी भी अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने समुदाय की चिंताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि नवी मुंबई के खारघर में नजरबंदी केंद्र(डिटेंशन सेंटर) नशीले पदार्थों की तस्करी के मामलों में शामिल विदेशी नागरिकों के लिए था। मलिक ने आगे कहा कि उनकी पार्टी ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की अगड़ी सरकार की सहयोगी है।बताया गया कि केवल 38 लोगों को वहां रखा जा सकता है (खारघर डिटेंशन सेंटर)।
राकांपा नेता ने कहा, 'सीएम मानते है कि लोगों को नागरिकता (संशोधन) कानून के बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। उनकी सरकार किसी भी धर्म या समुदाय के नागरिकों के अधिकारों को आहत नहीं होने देगी। वे राज्य में शांति और सद्भाव के लिए अपील करते हैं।' इस अवसर पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री एकनाथ शिंदे, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल, मुंबई के पुलिस आयुक्त संजय बर्वे, शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तार और कांग्रेस विधायक अमीन पटेल भी उपस्थित थे। जानकारी के लिए बता दें कि रविवार को नई दिल्ली में एक रैली के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर यह अफवाह फैलाने का आरोप लगाया था कि मुसलमानों को हिरासत केंद्रों में भेजा जाएगा। वहीं, इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि नागरिकता कानून या नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।
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