आज पुरे देश में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है। केवल केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में समर्थ नहीं हो सकती है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन के इंतजाम किए गए है। इसी व्यवस्था को पंचायती राज का नाम दिया गया है। पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद तथा जिला स्तर पर जिला परिषद होता है। इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं।
पंचायती राज का किरदार:-
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि यदि देश के गांवों को संकट पैदा हुआ तो भारत को संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने मजबूत और सशक्त गांवों का सपना देखा था जो भारत के रीढ़ की हड्डी होती। उन्होंने ग्राम स्वराज का कॉन्सेप्ट दिया था। उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास सभी अधिकार होने चाहिए। गांधीजी के सपने को पूरा करने के लिए 1992 में संविधान में 73वां संशोधन किया गया तथा पंचायती राज संस्थान का कॉन्सेप्ट पेश किया गया। इस कानून की सहायता से स्थानीय निकायों को अधिक से अधिक शक्तियां दी गईं। उनको आर्थिक विकास तथा सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियां दी गईं।
पंचायती राज कैसे चलता है?
आरम्भिक दिनों में एक सरपंच गांव का सर्वाधिक सम्मानित व्यक्ति होता था। हर कोई उसकी बात सुनता था। मतलब गांव के स्तर पर सरपंच में ही सारी शक्तियां होती थीं। मगर अब ग्राम, ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर चुनाव होता है तथा प्रतिनिधियों को चुना जाता है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं के लिए पंचायत में आरक्षण होता है। पंचायती राज संस्थानों को कई प्रकार की शक्तियां दी गई हैं जिससे वे सक्षम तरीके से काम कर सकें।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस:-
24 अप्रैल, 1993 को संविधान में 73वां संशोधन किया गया। तब से उस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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