भारत सरकार ने देश को हरियाली को बनाए रखने के लिए कई उपयोगी कदम उठाए है. जिसके तहत बहुत व्यापक परिणाम देखने को मिल रहे है. बता दे कि ऐसा नहीं हैं, कि सिमटती हरियाली और उसके दुष्प्रभावों को लेकर लोग चिंतित नहीं है. लोग चिंतित भी हैं और चुपचाप बहुत संजीदा तरीके से अपने फर्ज को अदा भी कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ लोगों, संस्थाओं और गांवों की कहानी से हम सब कुछ प्रेरणा ले सकते हैं.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र की संस्था ग्रीन यात्रा स्कूल-स्कूल जाकर छात्रों को पौधरोपण के प्रति प्रेरित करती हैं. उनका मकसद सिर्फ पौधे लगाना नहीं बल्कि बच्चों में पौधरोपण के प्रति भाव जगाना, जिम्मेदारी की सीख देना है. इस कार्यक्रम का नाम गो ग्रीन किड्स है. वे स्कूल में बच्चों को पौधे मुहैया कराते हैं और उनका रोपण सुनिश्चित कराते हैं. पौधरोपण के बाद बच्चे उनकी देखरेख करते हैं. संस्था द्वारा रोपे गए पौधों की पेड़ में तब्दील होने की दर 95 फीसद है.
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प्रकृति को सवारने को लेकर इशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित इस संस्था का लक्ष्य तमिलनाडु में ग्रीन कवर 33 फीसद तक ले जाना है. अपने इस मकसद को पाने के लिए इसने पूरे प्रदेश में 14.1 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. संस्था ने ग्रीन स्कूल मूवमेंट अभियान शुरू कर रखा है जिसमें स्कूली बच्चों को पौधों की नर्सरी बनाने की तकनीक सिखाई जाती है. संस्था स्कूल के हर बच्चे को विभिन्न प्रजातियों के पौधे के दो हजार बीज मुहैया कराती है. बच्चे स्कूल परिसर में ही छोटा-मोटा जंगल उगा देते हैं. संस्था की टीम नियमित समय इस कार्य की निगरानी करती है और जरूरी अतिरिक्त मदद भी मुहैया कराती है.
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