भारत के राज्य मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की गंजबासौदा तहसील में करीब 800 हेक्टेयर जंगल पर वर्षों से पत्थर माफिया का कब्जा है. यहां 100 से अधिक पत्थर खदानें चल रही हैं. संरक्षित वन क्षेत्र होने के बावजूद वन विभाग और जिला प्रशासन अवैध खनन रोकने में नाकाम है. सूत्रों के अनुसार, वर्ष 1971 में विदिशा और रायसेन जिले की सीमा पर हलाली बांध (सम्राट अशोक सागर परियोजना) का निर्माण हुआ था. बांध में वन विभाग की जमीन डूब गई थी. बदले में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने वन विभाग को गंजबासौदा तहसील में 800 हेक्टेयर जमीन दी थी.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां घना जंगल विकसित करना था, लेकिन पूरा क्षेत्र पथरीला होने के कारण 48 वर्षों के दौरान वन विभाग ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए. यह क्षेत्र उदयपुर, पठारी, घटेरा और त्योंदा तक फैला है. दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां अंदर तक पहुंचना काफी मुश्किल है. बाहरी व्यक्ति के आने पर पत्थर माफिया के लोग घेर लेते हैं. इन खदानों में लगभग 18 हजार मजदूर कार्यरत हैं.
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आपकी जानकरी के लिए बता दे कि इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाला लाल और काला पत्थर पाया जाता है, जो विदेशों में निर्यात होता है.इसके अलावा हरा और पीला पत्थर भी है. इसी कारण यहां अवैध खनन बढ़ता गया. अवैध खनन में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के बड़े नेता व अन्य रसूखदार भी शामिल हैं. वर्तमान में पूरी वन भूमि पत्थर माफिया के कब्जे में है. विदिशा से लेकर भोपाल तक आला अफसरों को जानकारी होने के बावजूद कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती है.
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