देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट को को महिलाओं से दुष्कर्म के बढ़ते मामलों और न्याय में देरी से लोगों में आती हताशा और बेचैनी ने चिंतित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के मुकदमों की रफ्तार बढ़ाने के लिए कमर कस ली है. कोर्ट ने बुधवार को ऐसे मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट ने क्रिमनल जस्टिस सिस्टम की रफ्तार बढ़ाने और मौजूदा कानून व न्याय प्रणाली को लागू करने की स्थिति जानने के लिए पुलिस थाने से लेकर अदालत तक का हर स्तर का सारा रिकार्ड और स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने महिलाओँ से दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मुकदमों के त्वरित निपटारे के लिए क्रिमनल जस्टिस सिस्टम की समीक्षा करने पर स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई में मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा को न्यायमित्र नियुक्त किया है. कोर्ट ने लूथरा को सारी जानकारी और सूचना एकत्रित होने के बाद कानून लागू करने और न्याय की रफ्तार बढ़ाने व व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी करने के बारे में सुझाव देने को कहा है.
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इस मामले को लेकर कोर्ट ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध किया है कि वे इस संबंध में न्यायमित्र लूथरा को पूरा सहयोग दें. कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार के गृह सचिव, और राज्यों के मुख्य सचिवों व डीजीपी को नोटिस जारी किया है. इसके अलावा सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को भी नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सेकरेट्री जनरल सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों से सूचना मंगाने मे सहयोग करेंगे.
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