तीन राजधानियां बनाने के प्रस्ताव को लेकर आंध्रप्रदेश में काफी समय से राजनीतिक हलचल देखी जा रही है. लेकिन इस प्रस्ताव को सत्ताधारी वाइएसआर कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत (175 में से 151 सीटें) के चलते निम्न सदन से पारित तो करा लिया लेकिन इसे विधान परिषद (विधान मंडल का उच्च सदन) ने अस्थायी रूप से रोक दिया है. विधानसभा में जहां जगनमोहन रेड्डी सरकार बहुमत में हैं. वहीं विधान परिषद में मुख्य विपक्षी पार्टी तेलगुदेशम के पास 58 में से 28 सीटें हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अब राज्य सरकार उच्च सदन को ही खत्म करने पर विचार कर रही है.दूसरी ओर, देश के चार बड़े राज्य ओडिशा, राजस्थान, असम और मध्यप्रदेश उच्च सदन स्थापित करने की कोशिशों में जुटे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि राज्यों के लिए कितने सदन वाली व्यवस्था बेहतर है और इनकी मौजूदा दौर में कितनी प्रासंगिकता है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि संसद में लोकसभा और राज्यसभा की तरह ही संविधान ने राज्यों को द्विसदनीय व्यवस्था का अधिकार दिया है. यद्यपि छह राज्यों में ही उच्च सदन की व्यवस्था है. इनमें आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. विधान परिषद के सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की एक तिहाई से ज्यादा और चालीस से कम नहीं होनी चाहिए. राज्यसभा की तरह इसके सदस्य सीधे विधायकों या स्थायी निकायों द्वारा चुने जाते हैं अथवा राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं.
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