आतंकी हमले से लेकर साधारण अपराध तक, पुलिसवालों के शौर्य और बलिदान से हर भारतीय महफूज

आतंकी हमले से लेकर साधारण अपराध तक, पुलिसवालों के शौर्य और बलिदान से हर भारतीय महफूज
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नई दिल्ली: पीएम मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में पुलिसकर्मियों की खूब तारीफ की. वहीं उग्र आंदोलन के दौरान उपद्रवी तत्वों द्वारा पुलिस बलों को निशाना बनाकर उन्होंने दुख जताया और कहा कि हमें महफूज रखने के लिए ही ये जांबाज सर्दी, गर्मी और बारिश की परवाह किए बिना जान को हथेली पर रखकर अपनी ड्यूटी पर डटे रहते हैं. जनता को सुरक्षित रखने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए हजारों जवान बलिदान दे चुके हैं. इंडियन पुलिस जर्नल के आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक 34 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं. 

34 हजार से ज्यादा शहीद: वहीं सूत्रों से इस बात का पता चला है कि जादी के बाद से भारतीय पुलिस ने उल्लेखनीय काम किया है. इंडियन पुलिस जर्नल के अनुसार, आजादी के बाद 1957 तक देश में शहीद होने वाले जवानों की संख्या 557 थी. 2018 में इनकी अब तक की कुल संख्या 34842 पहुंच गई. सबसे 

पहले प्रतिक्रिया का दायित्व: वहीं यह कहा जा रहा है कि पुलिस सरकार की पहली एजेंसी है जो लोगों को जरूरत होने पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देती है. फिर चाहे देश में कोई आतंकी हमला हो या फिर साधारण अपराध, लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने की स्थिति हो या फिर कोई तबाही, हर वक्त पुलिस सामने होती है. शांतिपूर्ण वातावरण को उपलब्ध कराने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी पुलिस पर होती है.

पुलिसकर्मियों की कमी: हम आपको बता दें कि भारत में पुलिसकर्मियों की कमी है. संयुक्त राष्ट्र के मानक के मुताबिक प्रति एक लाख लोगों पर करीब 230 पुलिसकर्मी होने चाहिए. एनसीआरबी के 2013 के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय औसत 141 है. उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर पुलिसकर्मियों की संख्या 78, बिहार में 77, राजस्थान में 115, मध्यप्रदेश में 112 है. यह आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि एक पुलिसकर्मी को अपने काम को किस तरह से अंजाम देना होता है.

 

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