भोपाल। आज से नौतपा की शुरुआत होने जा रही है और इससे जुड़ी अनेक भ्रांतियां भी है। कहा जाता है की नौतपा के दौरान गर्मी अधिक पड़ती है और तापमान अपने सर्वाधिक स्तर पर होता है। वहीं वैज्ञानिक विशेषज्ञ का कहना है की पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए प्रति वर्ष 25 मई को ऐसी स्थिति में आ जाती है की जब रोहिणी नक्षत्र सूर्य के पीछे आ जाता है, ऐसा हर साल 365 दिन बाद होता है।
रोहिणी नक्षत्र के सूर्य के पीछे आने पर हर साल नौतपा की खगोलीय घटना होती है। वैज्ञानिक के अनुसार 25 मई से 02 जून तक नौतपा आना तय ही है। यह घटना सन 1000 में 11 मई को होती थी, सन 1400 में 17 मई को, फिर धीरे-धीरे यह समय आगे बढ़ कर 25 हो गया। 25 मई से 02 जून तक नौतपा रहता है।मध्यभाग में तीव्र गर्मी होने से इस खगोलीय घटना को प्रचंड गर्मी से जोड़ कर बताया जाता है। वैज्ञानिक का कहना है की इंटरनेट पर आमतोर पर यह बताया जाता है की नौतपा के दौरान सूर्य की किरण लम्बवत पड़ती है, लेकिन कर्क रेखा के पास स्थित स्थानों पर जून में किरणें लम्बवत होती है।
यह भी कहा जाता है की नौतपा के समय सूर्य पृथ्वी के पास होता है परन्तु सूर्य पृथ्वी के पास चार जनवरी को होता है और जब शीतऋतु होती है। वहीं सूर्य नौतपा के समय तो पृथ्वी से दूर जा रहा होता है, साथ ही चार जुलाई के दिन सूर्य पृथ्वी से साल की सबसे अधिक दूरी पर होता है। नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ना और सूर्य का पृथ्वी के पास होना सही जानकारी नहीं है।
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