अमृतसर : नवजोत सिद्धू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जाने से इंकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक ऐसा पद मांग लिया है, जिसके बारे में कांग्रेस आलाकमान ने सोचा नहीं होगा। नवजोत सिद्धू पंजाब प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव का पद लेने से मना कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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अब तक ऐसा रहा सिद्धू का सफर
जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पद से इस्तीफा दे दिया है, जो अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. नवजोत सिद्धू ने अभी तक अपने नए विभाग बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत का चार्ज भी नहीं संभाला है। गत 6 जून को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा सिद्धू समेत कई मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया गया था। इस फैसले के तहत सिद्धू से लोकल बॉडीज और पर्यटन एवं सांस्कृतिक विभाग वापस लेकर उन्हें बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत विभाग का जिम्मा सौंपा गया था।
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इसी के साथ कैप्टन ने लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद लोकल बॉडीज विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे और सिद्धू से विभाग वापस लेने की बात कही थी। इसलिए मंत्रियों के विभागों में फेरबदल को विशेष तौर पर सिद्धू के खिलाफ कैप्टन की कार्रवाई के रूप में देखा गया। विभाग बदले जाने से नाराज सिद्धू दिल्ली पहुंच गए और उन्होंने राहुल व प्रियंका गांधी से मिलकर न सिर्फ कैप्टन की शिकायत की, बल्कि अपना पुराना विभाग वापस भी मांगा।
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