नवरात्र में डांडिया के पीछे छुपा ये काला सच

नवरात्र में डांडिया के पीछे छुपा ये काला सच
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नवरात्रि पर्व है आस्था का, आराधना का, शक्ति की उपासना का। इस पर्व में गरबो के सम्मलेन से आराधना का उत्साह और उल्लास अपने चरम पर होता है। रंग बिरंगी रोशनी से सजे पांडालों में विराजित माँ दुर्गा के सम्मुख डांडियों की ध्वनि और कदमताल की लय पर भक्ति का नृत्य-सृजन माँ के प्रति आस्था और समर्पण को हर्षोल्लास के रूप में अभिव्यक्त करता है। वर्षो से ये परंपरा गुजरात में चलती आयी है, परन्तु गरबों की यह धूम अब गुजरात से निकलकर संपूर्ण उत्तर भारत में फ़ैल रही है। परन्तु आराधना के इस उत्सव का वर्तमान स्वरूप अब पहले जैसा नहीं रहा है। अब ये दिखावा, अंग प्रदर्शन, बाज़ारवाद और रोमांस का माध्यम ज़्यादा हो गया है। इन सबमे इस त्यौहार का वास्तविक उद्देश्य, माँ की भक्ति तो छूट ही जाती है, बल्कि अब इसका एक अलग ही विकृत स्वरूप उभरकर सामने आ रहा है, जिसका जन्मदाता है बाज़ारवाद और युवाओं की उच्छश्रृंखलता। 

अश्लीलता और अवैध संबंधों की नुमाइश
दुष्ट राक्षसों की संहारक माँ दुर्गा की आस्था का पर्व है नवरात्रि। माँ की इसी विजय और उपासना की ख़ुशी को अभिव्यक्त करता है गरबा। परन्तु अब भक्ति के नाम पर इसमें बेरोकटोक अश्लीलता और अवैध संबंधों की नुमाइश होती है। लड़के-लड़कियां महंगे परिधानों को पहनकर गरबा पांडालों में आते है ताकि वहाँ उन्हें कोई पसंद आ जाए और वे रोमांस कर सके। ऐसा नहीं कि इन सम्बन्धो में पवित्रता या प्रेम होता है, यदि ऐसा होता तो नवरात्रि के दौरान, नशीले पदार्थों, कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों की बिक्री न बढ़ती। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ गुजरात में गरबों के दौरान कंडोम की बिक्री में 40-50 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है। सिर्फ अहमदाबाद और सूरत की ही बात करे तो 60 प्रतिशत वृद्धि आंकी गयी है।  ये हाल सिर्फ गुजरात का ही नहीं है, बल्कि अब तो दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी ये ही हालात देखने को मिलते है। नवरात्रि के बाद लड़कियों के गर्भपात की संख्या में अचानक से बढ़ोत्तरी हो जाती है।  
गलत परिधान 
नवरात्रि माँ की आराधना का पर्व है। माँ दुष्ट संहारक है। परन्तु गरबा पांडालों में ही कई दुष्ट महिषासुर घूमते हैं जो गरबों के दौरान लड़कियों को रिझाते है, बहलाते हैं और उन्हें अपने जाल में फंसाकर अवैध सम्बन्ध बनाते हैं। युवक युवतियां इस तरह से महँगी और भड़काऊ परिधानों में तैयार होकर आते हैं, जैसे किसी फैशन परेड में जा रहे हो। लड़कियों की ड्रेस तो कितनी छोटी, भड़काऊ और अभद्र होती है, की फिल्मो की आइटम डांसर ही शर्मा जाए। गरबों में युवक युवतियां देर रात तक बिना पाबंदी के फ़िल्मी गीतों पर थिरकती हैं. इस खुलेपन का ही नतीजा है कि इन गरबा पांडालों में अनेक अवैध संबंधों की नीव पड़ती है जो काली रात के नशे में कई युवतियों को छेड़छाड़ बलात्कार और नाजायज़ रिश्तो की और धकेल देती है। पर ऐसा नहीं कि लड़किया इतनी भोली होती है कि उन्हें कोई भी बहला फुसला के झूठ बोलकर ऐसा करता होगा, वे खुद भी अपने घर पर झूठ बोलकर आती है। वे गर्भनिरोधक गोलियां खरीदने तक में भी नहीं शर्माती हैं।
 गैर हिन्दू युवको का प्रवेश 
कई गैर हिन्दू युवक भी पांडालों में आते है ताकि लड़कियों को प्रेम जाल में फसा कर उनसे शादी करे और उनका धर्म परिवर्तन करे। इस लव जिहाद के विरोध में विश्व हिन्दू परिषद् ने गैर मुस्लिमो के गरबा पंडालों में आने पर रोक लगा दी थी और आधार कार्ड को देखकर ही युवको को प्रवेश दिया जाए ऐसी मांग की थी। उन्होंने तो यहाँ तक कहा था कि हर युवक के माथे पर तिलक लगाया जाए और उन पर गौमूत्र का छिड़काव किया जाए, और हर युवक को हिन्दू बनाकर पांडाल में प्रवेश दिया जाए, जिससे हिन्दू युवतियों की सुरक्षा हो सके.
टेलीविज़न का असर 
आस्था के आडम्बर में छिपे कुकर्म की इस चौपड़ को बिछाने वाला असली शकुनि तो बाज़ारवाद है। जिसका एक नमूना हाल ही में मैनफोर्स कंडोम कंपनी ने दिखाया। सनी लिओनी को लेकर नवरात्रि में सेक्स को लेकर एक विज्ञापन बनाया गया। इसके बड़े बड़े होर्डिंग्स भी जगह-जगह लगाए गए। इसके विरुद्ध हिन्दुओं ने विरोध किया, तब जाकर ये विज्ञापन हटाया गया।  इतना ही नहीं बाजार ही युवक युवतियों के लिए लिये नये-नये ड्रेस और डिजाइनें तैयार करता है, क्योंकि उनके लाखों खरीददार हैं। ये विभिन्न ऑफर का लालच देकर युवाओ को आकर्षित करता है। गरबा के दौरान शहरों में करोड़ों की लागत से विशेष गरबा पांडाल बनाये जाते हैं। निजी पांडालों को बनाने में भी खूब नोट उड़ाये जाते हैं। इन गरबा आयोजनों में नेताओ और बड़ी कंपनियों का भी सहयोग होता है। इस दौरान अर्थव्यवस्था में भी तगड़ा उछाल आता है। बड़े-बड़े मॉल, छोटी से लेकर बड़ी दुकानों तक की खूब कमाई होती है। जमकर वस्त्र, मिठाई, झालड़, रंग-बिरंगी लाइट्स की बिक्री होती है। इस दौरान रेहड़ी वालों के भी अच्छे दिन आ जाते हैं। कारोबारी वर्ग आयोजनों के दौरान पांडांलों में कुछ सुविधाओं का इंतजाम कर एक साथ करोड़ों लोगों के बीच अपने उत्पाद के साथ पहुंच बना लेते हैं। आजकल तो युवाओ में टैटू बनाने का भी ट्रेंड चला है। बिना रोकटोक डांस, स्वछंदता और फैशन के मोहजाल में फसकर युवा अवैध सम्बन्ध को बढ़ावा देते है ।  
माता-पिता की लापरवाही 
बच्चो के माता पिता भी इसी भुलावे में रहते हैं की उनके बच्चे गरबा करने जा रहे हैं, पर देर रात रुक सकने की छूट ने युवाओ को आज़ादी दे दी है अपनी मनमानी करने की। भीड़ में बच्चो को पहचानना मुश्किल होता है, ऐसे में उनकी आँखों में धुल झोंकना आसान हो जाता है।  

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