दुर्गा का छठा स्वरुप 'माँ कात्यायनी '

दुर्गा का छठा स्वरुप 'माँ कात्यायनी '
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माँ कात्यायनी

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥​

हर तरफ नवरात्र की धूम मची हुई है. हर तरफ भक्तों की भीड़, गरबों का उल्लास, आरती की गूँज और जश्न का माहौल है. और हो भी क्यों न? आखिर सभी चाहते हैं कि मातारानी की कृपा और आशीर्वाद सभी पर बरसता रहे, और भला कोई भी व्यक्ति अपनी माँ को क्यों न मनाये? उसकी पूजा अर्चना क्यों न करे? हलाकि माँ तो अपनी ममता हर वक़्त लुटाती रहती हैं और उन्हें किसी विशेष पूजन अर्चन की जरूरत नहीं होती लेकिन कहा जाता है कि नवरात्री के इन 9 दिनों में माँ अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुन लेती हैं और उन्हें मनोवांछित फल देने के साथ-साथ, सुख समृद्धि प्रदान करती हैं.

चलिए तो हम आपको बताते हैं कि आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज माँ दुर्गा के छठे स्वरुप माँ कात्यायनी की आराधना की जाती है. माँ कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनका वाहन भी सिंह है और चतुर्भुज माँ कात्यायनी अपने हाथों में अस्त्र-शास्त्र और कमल धारण किये हुए हैं. कहते हैं माँ कात्यायनी की उपासना करने से मनबांछित जीवनसाथी मिलता है और विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. जीवन में खुशहाली आती है.

अगर आपकी भी शादी में बाधा आ रही हो या आपको भी मनपसंद साथी चाहिए हो तो इस तरह करें माँ की पूजा -

20 से 25 साल की उम्र वालों के लिए लिए उपाय

सायं काल देवी के समक्ष घी का एक दीपक जलाएं फिर देवी को पीली चुनरी और हल्दी की एक गांठ अर्पित करें. पूजा करते हुए शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें. हल्दी की गांठ को पीली चुनरी में बांधकर रख लें.

26 से 30 वर्ष वालों के लिए उपाय

घी का चौमुखी दीपक जलाएं और देवी को पीतल या सोने का एक छल्ला अर्पित करें. इसके बाद "ॐ कात्यायनी दैव्ये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें. मंत्र जाप के बाद उस पीतल या सोने के छल्ले को दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें. 

जिनकी आयु 31 से 35 वर्ष है, उनके लिए उपाय

पीली सरसों को हवन की सामग्री में मिला लें, इसके बाद आम की लकड़ियां हवन कुंड में प्रज्वलित करें. इसके बाद उस हवन सामग्री से 108 बार अग्नि में आहुति दें. हर आहुति पर "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" कहें.

36 वर्ष या इससे अधिक आयु वालों के लिए उपाय

पीले रंग के वस्त्र धारण करें. घी का चौमुखी दीपक माँ कात्यायनी के सम्मुख जलाएं. इसके बाद मां को उतने ही पीले फूल अर्पित करें जितनी आपकी उम्र है. हर फूल अर्पित करने के साथ "ह्रीं" कहें.

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