आप सभी जानते ही होंगे कि देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप कूष्मांडा का होता है और यह माता जगत का पोषण करती हैं. ऐसे में कूष्मांडा माता की कृपा से मनुष्य धनवान होता है और मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं इस वजह से इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है. कहते हैं कि मां के दाहिने प्रथम हाथ में कुंभ अपनी कोख से लगाए हुए हैं, जो गर्भावस्था का प्रतीक माना जाता है, दूसरे हाथ में चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में देवी सिद्धियों और निधियों का जाप करने वाली माला को धारण करती हैं, बांए प्रथम हाथ में कमल पुष्प, द्वितीय में शेर, तृतीय में धनुष तथा चतुर्थ में कमंडल लिए हुए है.
वहीं कूष्मांडा देवी अपने प्रिय वाहन सिंह पर सवार होती हैं. यह भी कहते हैं कि कूष्मांडा देवी की उपासना से रोगों से मुक्ति मिलती है, सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. उनकी पूजा में उन्हें शहद जरूर चढ़ाना चाहिए. कहते हैं कूष्मांडा माता को शहद बहुत प्रिय है. इसी के साथ माता को मस्तक पर लगाने के लिए तिलक चांदी का एक टुकड़ा और आंख में लगाने के लिए काजल भेंट स्वरूप देने से लाभ होता है. अब हम बताते हैं कि नवरात्र की चतुर्थी पर कौन से उपाय लाभदायक होते हैं.
कूष्मांडा मंत्र -
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ।
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
आज ऐसे करें मां कूष्मांडा का स्त्रोत पाठ, होगा धन लाभ