चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और इस पर्व के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। जी दरअसल यह मान्यता है कि इस तिथि पर देवी दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और नौ दिनों तक यहीं पर रहकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है। आप सभी को बता दें कि नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है। वहीं नौ दिनों तक उपवास रखते हुए मां अंबे की आराधना पूजा-पाठ,तप, ध्यान, आरती,मंत्रों का जाप और देवी के गीत गाते हुए होती है। इसी के साथ नवरात्रि पर दुर्गा सप्शती का पाठ और मां की आरती जरूरी की जाती है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ की आरती और मंत्र।
अंबे जी की आरती-
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नवरात्रि के मंत्र-
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोఽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोఽस्तुते।।
नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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