नवरात्र आरम्भ हो चुका है. बीते 25 मार्च से नवरात्र का पर्व शुरू हो चुका है और यह पर्व सभी हिंदुओं के लिए मुख्य माना जाता है. यह पर्व नौ दिनो का होता है जिनमे मातारानी के भक्त उपवास रखते है और माँ के सामने अपनी कामना रखते हैं. इन दिनो में माँ को ख़ुश करने के लिए पूजन किया जाता है. ऐसे में आज माँ ब्रह्मचारिणी का दिन है. नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनके बारे में.
कहा जाता है नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना का विधान है. जी दरअसल देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है. कहा जाता है देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. जी हाँ, मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है. केवल इतना ही नहीं देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है.
मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है. इनमे ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी. आप सभी को बता दें कि यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं. इनके मुख पर कठोर तपस्या के कारण तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है. केवल इतना ही नहीं देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है. इसी के साथ देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं. आपको बता दें कि इनके अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा.
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