मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार, 9 सितंबर को महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और सात अन्य के आरोपमुक्त करने के आवेदनों को स्वीकार कर लिया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने भुजबल के अलावा उनके बेटे पंकज, भतीजे समीर और पांच अन्य को मामले से बरी कर दिया।
उन्होंने यह दावा करते हुए आरोपमुक्त करने की मांग की थी कि उन पर मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं है। भुजबल की ओर से वकील प्रसाद ढाकेफालकर, अधिवक्ता सजल यादव और सुदर्शन खवासे ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ सभी आरोप फर्जी थे और गलत गणनाओं, धारणाओं और अनुमानों पर आधारित थे। उन्होंने तर्क दिया कि 2016 में दायर हजारों पन्नों में भारी भरकम चार्जशीट के बावजूद मुकदमे में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पहले यह कहते हुए याचिका का विरोध किया था कि भुजबल और उनके परिवार को कंस्ट्रक्शन फर्म केएस चमनकर एंटरप्राइजेज से रिश्वत मिली थी। प्रवर्तन निदेशालय ने भी एक मामला दर्ज किया था जो अभी भी लंबित है। ईडी ने मार्च 2016 में भुजबल को गिरफ्तार किया था और बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 में उन्हें जमानत दी थी।
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