विधानसभा चुनाव में लचर संगठन के साथ उतरी कांग्रेस का पूरा जोर अब अपनी कमजोरियों को दूर करने पर है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं से इस बात का फीडबैक मिल चुका है कि संगठन कमजोर होने के कारण इस बार सत्ता हाथ से निकल गई. फीडबैक के बाद पंजादल की पूरी ऊर्जा इसी कमजोरी को दूर करने में लगेगी. पार्टी पुराने सहयोगी संगठनों को ताकतवर बनाकर अपनी जड़ों की ओर लौटेगी। सेवादल को फिर से सक्रिय किया जाएगा. बूथ इकाइयों के गठन पर पूरा जोर दिया जाएगा. पार्टी के वरिष्ठ नेता यह मान रहे हैं कि अगर बूथ स्तर पर मजबूत संगठन होता तो इस बार मनोहरलाल के नाम दूसरी पारी नहीं होती.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कांग्रेस इस बार कई विधानसभा सीटें बहुत कम अंतर से हारी है. हालांकि ऐसा भाजपा के साथ भी हुआ, परंतु पार्टी का यह मानना है कि भाजपा का जमीनी स्तर पर संगठन कांग्रेस से कहीं ज्यादा मजबूत था. प्रचार के मामले में भी भाजपा कांग्रेस से आगे थी. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मिली 31 सीटों पर जीत से कांग्रेस को दिन बदलने की उम्मीद बंध गई है.
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कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के लिए चुनाव परिणाम वरदान साबित हुए. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शक्ति ने उनके नेतृत्व को ताकत देने का काम किया. कुमारी सैलजा से पहले प्रदेशाध्यक्ष की कमान अशोक तंवर के हाथ में थी, मगर तब और अब में फर्क है. तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच छत्तीस का आंकड़ा था. अब सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच कोई टकराव नहीं है. सैलजा पूर्व सीएम के खास बेल्ट में व्यक्तिगत जनाधार को व अन्य क्षेत्रों में उनके साथ निष्ठा रखने वाले नेताओं के जनाधार को पार्टी हित में इस्तेमाल करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं. सैलजा अब बूथ इकाइयों तक पूरा जोर लगाएगी. जनवरी 2020 से पार्टी सदस्यता अभियान की शुरुआत करने जा रही है.
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