नई दिल्ली : बैंकों का कर्ज किसानों की आत्महत्या का कारण बन रहा है। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों के माध्यम से सामने आई है। अभी तक यह माना जाता था कि किसान साहूकार ही किसानों की आत्महत्या के लिये जिम्मेदार होते है, लेकिन अब यह खुलासा हो गया है कि देश भर के अस्सी प्रतिशत से अधिक इसलिये आत्महत्या कर लेते है क्योंकि वे बैंकों का कर्ज चुकाने में अक्षम रह जाते है।
नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में 3 हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला खत्म कर ली, इसके पीछे कारण बैंकों का कर्ज चुका पाना नहीं था।
इधर योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन का कहना है कि बैंकों की तुलना में साहुकारों से कर्ज लेना आसान होता है क्योंकि वे मामले की गंभीरता को देखते हुये न केवल कर्ज के चुकाने हेतु दबाव नहीं डालते है वहीं छूट भी देने से गुरेज नहीं करते लेकिन बैंकों या पंजीकृत सूक्ष्म वित्त संस्थानों की स्थिति साहुकारों से बिल्कुल विपरित होती है।